Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 एक दिन का यह व्रत देता है अपार पुण्य | dharmpath.com

Friday , 22 November 2024

Home » प्रशासन » एक दिन का यह व्रत देता है अपार पुण्य

एक दिन का यह व्रत देता है अपार पुण्य

vishnuशास्त्रों में कहा गया है कि श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को भोजन करवाने से जाने-अनजाने हुए कई पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए विशेष अवसरों पर लोग ब्राह्मण भोज करवाते हैं। लेकिन एक व्रत ऐसा है जिसमें एक दिन के व्रत से एक नहीं बल्कि 88,000 हजार ब्राह्मणों को भोजन करवाने का पुण्य प्राप्त होता है। इस व्रत का नाम योगिनी एकादशी व्रत है।

शास्त्रों में बताया गया है कि आषाढ़ कृष्ण एकादशी तिथि का दिन भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। यह तिथि आज है। इस एकादशी तिथि को जो लोग व्रत रखकर भगवान विष्णु की तिल, फूल और फलों सहित विधिवत पूजा करते हैं उनके पूर्व जन्म के पाप कट जाते हैं। स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों में कमी आती है और मृत्यु के बाद उत्तम लोक में स्थान प्राप्त होता है।

व्रत की विधि

इस दिन शरीर पर मिट्टी अथवा तिल लगाकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद एक घड़े में जल भरकर उसके ऊपर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। घी का दीपक जलाकर पूजा करें। एकादशी तिथि के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। दिन भर सात्विक दिनचर्या बनाए। जितना अधिक संभव हो ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करना चाहिए।

पण्डित ‘मुरली झा’ के अनुसार शास्त्रों में बताया गया है कि एकादशी के दिन रात्रि जागरण करते हुए भगवान विष्णु के नाम का कीर्तन भजन करने से एकादशी व्रत सफल होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। द्वादशी तिथि को प्रातः भगवान विष्णु की पूजा करके जितना संभव हो ब्राह्मण को भोजन करवायें और दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद लें। इसके बाद स्वयं भोजन करें

योगिनी एकादशी व्रत कथाः

स्वर्ग में अलकापुरी नगरी है। यहां के राजा कुबेर हैं। ‘हेममाली’ नाम का एक यक्ष कुबेर की सेवा में था। इसका काम प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा के लिए फूल लाकर देना था। एक बार कुबेर भगवान शिव की पूजा में बैठे थे लेकिन दोपहर बीत जाने के बाद भी हेममाली फूल लेकर नहीं आया। इससे कुबेर नाराज हुए और अपने सेवकों से पूछा कि हेममाली फूल लेकर क्यों नहीं आया है।

इस पर सेवकों ने कहा कि वह कामाशक्त होकर पत्नी के संग विहार कर रहा है। इससे कुबेर कुपित हो उठे और हेममाली को श्राप दिया कि तुम मृत्यु लोक में चले जाओ। शिव की अवहेलना करने के कारण तुम्हें कुष्ठ रोग हो जाए। हेममाली तुरंत स्वर्ग से पृथ्वी लोक पर आ गया।

कष्टपूर्ण जीवन व्यतीत करते हुए हेममाली एक दिन ऋषि मार्कण्डेय जी के पास पहुंचा। ऋषि ने हेममाली को योगिनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। इस व्रत से हेममाली का कुष्ठ रोग समाप्त हो गया और पाप से मुक्त होकर स्वर्ग में स्थान प्राप्त कर लिया।

एक दिन का यह व्रत देता है अपार पुण्य Reviewed by on . शास्त्रों में कहा गया है कि श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को भोजन करवाने से जाने-अनजाने हुए कई पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए विशेष अवसरों पर लोग ब्राह्मण भोज कर शास्त्रों में कहा गया है कि श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को भोजन करवाने से जाने-अनजाने हुए कई पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए विशेष अवसरों पर लोग ब्राह्मण भोज कर Rating:
scroll to top