एक जमाने में औद्योगिक नगरी के रूप में जाना जाने वाले गाजियाबाद महानगर पिछले 23 सालों के दौरान धार्मिक,सांस्कृतिक क्षेत्र में भी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा। गाजियाबाद में पहले से ही धार्मिक स्थलों में आस्था जताने आने वाले लोगों का संख्या बढ़ी है।
आज भी गाजियाबाद में ऐसी कई धरोहर हैं जो गाजियाबाद की विशिष्ट पहचान बनाए हुए हैं।
दूधेश्वरनाथ मंदिर –
गौशाला रोड पर स्थित दूधेश्वर नाथ मंदिर गाजियाबाद की विशेष पहचान है। यह एतिहासिक मंदिर है। कहा जाता है कि इस मंदिर में रावण के पिता विशेश्रवा भी यहां पूजा के लिए आते थे। यह भी कहा जाता है कि मंदिर प्रांगण में शिवलिंग है वह विशेश्रवा द्वारा ही स्थापित किया गया था। मंदिर में प्रतिदिन भारी संख्या में लोग पूजा अर्चना के लिए आते हैं और श्रावण शिवरात्रि पर यहां लाखों की संख्या में कावंड़िये शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।
सीकरी खुर्द का महामाया देवी मंदिर-
सीकरी खुर्द स्थित ऐतिहासिक महामाया देवी के मंदिर की मान्यता है कि यहां जो भी मांगा जाए वह मुराद पूरी हो जाती है।
चैत्र मास में नवरात्र पर्व पर यहां मेला लगता है। ऐतिहासिक मंदिर परिसर में तीन सौ साल पुराना वट वृक्ष भी है। कहा जाता है कि इस वृक्ष पर अंग्रेजों की हुकुमत के दौरान गांव के 120 स्वतंत्रता सेनानियों को पेड़ पर फांसी पर लटकाकर मौत के घाट अंग्रेजों ने उतार दिया था। मेले में हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों से भक्तजन आते हैं।
डासना का देवी मंदिर –
डासना स्थित प्राचीन देवी मंदिर भी जिले की विशिष्ठ पहचान है। शारदीय नवरात्र के अवसर पर मंदिर में नौ दिवसीय शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया जाता है। कहा जाता है कि देवी चंडी की पूजा मुगल काल से चली आ रही है। मान्यता है कि यज्ञ में आहुति देने वालों की मनोकामना पूरी होती है।