77 साल के ट्रंप दोषी पाए गए तो उन्हें कड़ी सज़ा मिलने की संभावना है.ट्रंप को गुरुवार को वॉशिंगटन डीसी में अदालत में पेश होना है. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वह व्यक्तिगत रूप से वहां जाएगे या रिमोटली पेश होंगे.
ट्रंप के ख़िलाफ़ जांच का नेतृत्व करने वाले सरकार के नियुक्त वकील जैक स्मिथ इससे मामले में “जल्दी सुनवाई” की मांग कर रहे हैं. लेकिन कई कारणों से मामले की जल्दी सुनवाई हो पाएगी ऐसे आसार नज़र नहीं आते.
उनके ख़िलाफ़ कई केस चल रहे हैं और कब कौन से केस का ट्रायल होगा यही तय करेगा कि इस केस में कितना वक़्त लगेगा. सभी केस एक ही समय में नहीं चलाए जा सकते.
इस बात के भी आसार काफ़ी कम हैं कि चुनाव के दौरान किसी मुख्य केस की सुनवाई हो. जल्द ही रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन होने वाला है, जब पार्टी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को औपचारिक रूप से चुनेगी.अमेरिकी न्याय प्रणाली में मुक़दमे के लिए अधिक समय देने के कई तरीक़े हैं.
मामले की सुनवाई के लिए जज तान्या चटकन को नियुक्त किया गया है. तान्या चटकन की नियुक्ति ओबामा प्रशासन ने की थी. उन्हें ऐसे जज के रूप में जाना जाता है जो कड़ी सज़ा देते हैं.
अतीत में छह जनवरी के अन्य मामलों में उन्होंने कड़ी सज़ा दी है.ज़रूरी दस्तावेज़ों के मामले में ट्रंप पर अधिकतम 20 साल की सज़ा की तलवार लटक रही है.अमेरिकी क़ानून के तहत यदि किसी व्यक्ति पर आपराधिक आरोप लगे हों, या भले ही वह जेल में हों तो भी उसे राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने से कोई नहीं रोक सकता.
हालांकि सवाल ये है कि मतदाता ऐसे उम्मीदवार को वोट देना चाहेंगे या नहीं.अमेरिका के इतिहास में कम से कम दो लोग आपराधिक केस में दोषी क़रार दिए जाने के बाद भी राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ चुके हैं.
1920 में समाजवादी उम्मीदवार यूजीन डेब्स, जिन्हें 1918 के एक युद्ध-विरोधी भाषण के लिए दोषी ठहराया गया था. उन्होंने पहले विश्व युद्ध के दौरान भाषण दिया था जिसके कारण उन पर राजद्रोह का केस चलाया गया था.
धोखाधड़ी के एक मामले के दोषी ठहराए गए लिंडन लारूश ने मिनेसोटा की एक जेल में सज़ा काटते हुए 1992 में चुनाव लड़ा था.