यूके के एक अख़बार ने दावा किया है कि जिन ऑस्ट्रेलियाई निवेशकों ने अदानी की कंपनियों में ये सोचकर निवेश किया था कि वो भारत की ग्रोथ स्टोरी में निवेश कर रहे हैं, उन्हें अब भारी नुक़सान का सामना करना पड़ रहा है.
द गार्डियन का ऑस्ट्रेलियाई संस्करण अपनी रिपोर्ट में लिखता है , ऑस्ट्रेलिया में रिटायरमेन्ट के लिए रखे सरकारी फ़ंड्स का निवेश अदानी की कंपनियों में किया गया था, जिस पर अभी ख़तरा मंडरा रहा है.
माइकल बैरेट की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि क्वींसलैंड के सरकारी कर्मचारियों और कॉमनवेल्थ बैंक के कर्मचारियों के पेशन फ़ंड जैसे कई सुपरएन्युएशन फ़ंड्स को बढ़ाने की उम्मीद में अदानी की कंपनियों में लगाया गया था.
सुपरएन्युएशन फ़ंड्स एक तरह का पेन्शन फ़ंड होता है जिसमें व्यक्ति की कमाई का एक हिस्सा कंपनी इसमें जमा करती है. इस पैसे को बाज़ार में लगाया जाता है ताकि इसमें इज़ाफ़ा होता रहे.
वहीँ कभी एशिया के सबसे धनी शख़्स रह चुके अदानी अब इस लिस्ट में टॉप 25 स्थान पर कहीं नहीं हैं.बुधवार को अदानी की संपत्ति में 45 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है जिसके बाद अरबपतियों की फ़ोर्ब्स और ब्लूमबर्ग की सूची के अनुसार अदानी 26वें और 29वें पायदान पर पहुंच गए हैं.
फ़ोर्ब्स की रियल-टाइम अरबपतियों की लिस्ट के अनुसार, अदानी की कुल संपत्ति 43.4 अरब डॉलर हो गई है, वहीं ब्लूमबर्ग की अरबपतियों की लिस्ट में उनकी संपत्ति 42.7 अरब डॉलर हो गई है.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के सामने आने के बाद से अदानी की कुल संपत्ति में क़रीब 75 अरब डॉलर की गिरावट आई है.
वहीँ अडानी समूह दावा करता है की निवेशक घबराएं नहीं, कर्ज चुकाने के लिए हैं पैसे, ग्रोथ पर अब भी फोकस है लेकिन अडाणी और उनके भाई की कई बोगस कंपनियों के सामने आने से उनके दावे से निवेशक सहमत होते नहीं दिख रहे हैं.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर गैरकानूनी तरीके से अपनी कंपनी के शेयर के दाम बढ़ाने और खातों में गड़बड़ी के आरोप लगाए गए हैं. रिपोर्ट का टाइटल कहता है कि अडानी समूह के मुखिया गौतम अडानी कॉरपोरेट दुनिया की सबसे बड़ी ठगी की ओर बढ़ रहे हैं.फर्म के मुताबिक इस रिपोर्ट को 2 साल की रिसर्च के बाद तैयार किया गया है.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अडानी की 5 मुख्य कंपनियों पर करीब 20 खरब रुपये का कर्ज है, जिसमें से 7 से 8 खरब रुपये का कर्ज सिर्फ बैंकों से लिया गया है. यानी कंपनी कर्ज लेकर घी पीने वाली कहावत चरितार्थ कर रही है.
यदि अडानी समूह इस गिरावट से नहीं उबरा तो पूरे के पूरे भारतीय शेयर बाजार पर इसका असर होना तय है.इस गिरावट से जिन पर सीधा असर पडेगा वे दो मुख्य पक्ष अडानी हैं. दूसरा समूह समूह शेयर बाजार नियामक सेबी हैतीसरा पक्ष वो बैंक हैं, जिन्होंने अडानी को कर्ज दिया है. और चौथे आम निवेशक हैं.
लेकिन यदि अडानी समूह नहीं उबर पाता है तो सबसे बड़ा धक्का भारतीय अर्थव्यवस्था को लगेगा, समय आगे बताएगा क्या होना है लेकिन इसके कई असर सहने को भारतीयों को तैयार रहना होगा।