भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि 17 मार्च 2020 को हमारे फैसले के बाद एक भी महिला को पदोन्नति के लिए योग्य नहीं पाया गया. अदालत कैप्टन के पद पर पदोन्नति की मांग करने वाले छह अधिकारियों द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीते बुधवार (13 दिसंबर) को आश्चर्य व्यक्त किया कि भारतीय नौसेना ने 2020 में स्थायी कमीशन प्राप्त एक भी महिला अधिकारी को पदोन्नति के लिए उपयुक्त नहीं पाया.
अदालत ने साथ ही केंद्रीय रक्षा मंत्रालय को गोपनीय कागजात का एक सेट पेश करने का निर्देश दिया, जिसके बाद उन छह महिला अधिकारियों को पदोन्नति से वंचित कर दिया गया था, जिन्होंने ‘व्यवस्थित भेदभाव’ का आरोप लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘ऐसा नहीं हो सकता कि 17 मार्च, 2020 को हमारे फैसले के बाद एक भी महिला को पदोन्नति के लिए योग्य नहीं पाया गया.’ अदालत कैप्टन के पद पर पदोन्नति की मांग करने वाले छह अधिकारियों द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी.
इस पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे.