इस दिन कजरी तीज के दिन गायों की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन घर में झूले लगाए जाते हैं और महिलाएं एकत्रित होकर नाचती-गाती हैं।
कजरी तीज को लोग चिलचिलाती गर्मी के बाद मानसून का स्वागत करने के लिए मनाते हैं। कजरी तीज साल भर मनाए जाने वाले तीन तीज त्योहारों में से एक है। हरतालिका और हरियाली तीज की तरह कजरी तीज के लिए भी माता पर्वती के भक्त विशेष तैयारियां करते हैं।
इस दिन जौ, चना, चावल और गेहूं का सत्तू बनाया जाता है और उसमें घी और सूखे मेवे मिलाकर कई तरह के भोजन बनाए जाते हैं.
– सबसे पहले कजरी तीज व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर ले।
– इसके बाद व्रत का संकल्प लें और चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान माता पार्वती के साथ उनके पति भगवान शिव की मूर्ति रखें।
– इसके बाद विधि-विधान से शिव-गौरी की पूजा करें।
– माता गौरी को सुहाग की 16 सामग्रियां अर्पित करें।
– इसके साथ ही भगवान शिव को बेलपत्र, गंगाजल और धतूरा भी चढ़ाएं।
– इसके बाद कजरी व्रत कथा का पाठ करें।
– अंत में आरती पढ़कर माता पर्वती को प्रसन्न करें।