Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 धर्म क्या है.. | dharmpath.com

Friday , 22 November 2024

Home » धर्म-अध्यात्म » धर्म क्या है..

धर्म क्या है..

religionधर्म क्या है? जब युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से पूछा तो उन्होंने उत्तर दिया था, जिससे अभ्युदय (लौकिक उन्नति) और नि:श्रेयस (पार लौकिक उन्नति-यानी मोक्ष) सिद्ध होते हों वही धर्म है। धर्म अधोगति में जाने से रोकता है और जीवन की रक्षा करता है। धर्म ने ही सारी प्रजा को धारण कर रखा है। इसलिए जिससे धारण और पोषण सिद्ध हों, वही धर्म है।

जो अहिंसा से युक्त हो वही धर्म है। भीष्म द्वारा धर्म के इस विश्लेषण का मंतव्य है कि जो संतुलन बनाए रखे, वही धर्म है। यह धर्म जब अशक्त हो जाता है तभी अन्याय, अनीति, दुष्कर्म बढ़ते हैं और सज्जन लोगों को कष्ट सहने पड़ते हैं।

तब परमात्मा अपनी बनाई सृष्टि को सुव्यवस्थित करने के लिए और जगत के लोगों के कल्याण के लिए तेजस्वी और पराकमी पुरुष के रूप में पूरी व्यवस्था को बदलने के लिए अवतार लेता है। इस तरह अवतार लेना, दया, शील, ज्ञान, तप और सत्य की रक्षा करना परमात्मा का धर्म अर्थात कर्तव्य है। युद्ध के लिए जब क्षत्रिय अर्जुन पूरे दल-बल के साथ तैयार होकर युद्ध भूमि में पहुंचते हैं और वहां पहुंचकर वह बिना लड़े ही युद्ध भूमि से पलायन करने को उद्यत होते हैं तब भगवान कृष्ण उन्हें उनके क्षत्रिय धर्म की याद दिलाते हैं।

भगवान जानते थे कि सारे प्रयास असफल हो चुके हैं। अब शांति की स्थापना का एकमात्र विकल्प युद्ध ही है। इस युद्ध के बिना उन्माद का आवेग शांत नहीं होगा और सत, रज व तम के अस्तित्व में संतुलन स्थापित नहीं होगा। इसलिए वह युद्ध की अनिवार्यता के बारे में अर्जुन को कर्म, ज्ञान व भक्ति अनेक मार्गो से समझाते हैं। इतना ही नहीं अपना विराट रूप दिखाकर उन्हें भरोसा भी दिलाते हैं कि जो अपने कर्मो को परमात्मा को अर्पित कर उसके फल की चिंता किए बगैर अपने धर्म का पालन करता है वही योगी है। हर पंथ में मानव का धर्म है सत्य बोलना। दूसरे पर अत्याचार न करना।

वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि विज्ञान मनुष्य को अपरिमित शक्ति तो दे सकता है, पर वह उसकी बुद्धि को नियंत्रित करने की साम‌र्थ्य नहीं प्रदान कर सकता है। मनुष्य की बुद्धि को नियंत्रित करने और उसे सही दिशा में प्रयुक्त करने की शक्ति तो धर्म ही दे सकता है।

धर्म क्या है.. Reviewed by on . धर्म क्या है? जब युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से पूछा तो उन्होंने उत्तर दिया था, जिससे अभ्युदय (लौकिक उन्नति) और नि:श्रेयस (पार लौकिक उन्नति-यानी मोक्ष) सिद्ध होते धर्म क्या है? जब युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से पूछा तो उन्होंने उत्तर दिया था, जिससे अभ्युदय (लौकिक उन्नति) और नि:श्रेयस (पार लौकिक उन्नति-यानी मोक्ष) सिद्ध होते Rating:
scroll to top