वाराणसी– सोमवार, दिनांक 30 जनवरी- पड़ाव में स्थित श्री सर्वेश्वरी समूह, अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम के पुनीत प्रांगण में कुष्ठ निवारण दिवस संस्था के अध्यक्ष पूज्यपाद बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम जी के सान्निध्य में श्रद्धापूर्वक मनाया गया।
इस अवसर पर प्रातःकालीन सफाई एवं श्रमदान के उपरांत दोपहर 2:30 बजे कुष्ठी बंधुओं में नवीन वस्त्रों का वितरण संस्था के पदाधिकारियों के कर-कमलों से किया गया। सायंकाल 4 बजे से कुष्ठ सेवा आश्रम के अंतरंग विभाग में एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता उत्तर प्रदेश के अवकासप्राप्त अपर स्वास्थ्य निदेशक डॉ० वी० पी० सिंह जी ने की।
पूज्यपाद बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम जी ने कहा,हमलोग हमेशा आशावान और प्रसन्नचित्त रहें
यह कुष्ठ सेवा आश्रम परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु द्वारा स्थापित और प्रारंभ किया गया है। और यहाँ उनके आशीर्वाद से ही सबकुछ होता है। वैसे तो इस परिसर में रहने वाले, आने वाले बहुत ही सौभाग्यशाली हैं लेकिन साथ ही हमारी दूषित मानसिकता हमें उस चीज को प्राप्त नहीं होने देती है, उस आनंद को प्राप्त नहीं होने देती है जिसके लिए हम यहाँ आते हैं। विशेषकर यहाँ जो लोग निवास करते हैं चाहे वह रोगी हों चाहे अन्य लोग हों, अघोरेश्वर महाप्रभु के आशीर्वाद की वर्षा सबके लिए बराबर होती है। हमलोग हमेशा आशावान और प्रसन्नचित्त रहें, निराशा को अपने चित्त में स्थान न दें। जो लोग भी कुष्ठी बंधुओं की सेवा में लगे हैं, वह बहुत ही सराहनीय है। ऐसा नहीं है कि जो यहाँ सेवा दे रहे हैं खाली वही सेवा कर रहे हैं, सेवा तो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूप से हो रही है। हमारी संस्था के सदस्यगण, भक्तगण दूर से ही अपनी सहायता भेजते हैं तभी हमलोग भी सेवा कर पाते हैं। तो उनकी भी सेवा इसमें शामिल है। हाँ प्रत्यक्ष रूप से हमारे वैद्य जी, कर्मचारी गण और रविशंकर जी आपसे जुड़े हुए हैं। यदि आप सभी चिकित्सकों की बातों को मानें और यहाँ से मिलने वाले खान-पान को प्रेम से ग्रहण करें, जब तक हमारे शरीर में रोग है हम अपने आत्मबल को मजबूत करके उसका पालन अवश्य करें तो आप जल्दी स्वस्थ हो सकते हैं। जो भी नए अविष्कार होते हैं या जो कुछ भी आपकी शरीर लिए लाभकारी हों उसको आपको देने के लिए हम प्रयत्नशील रहते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन में खान-पान का बहुत महत्व है। यदि उसका पालन नहीं करेंगे तो उसका उल्टा प्रभाव भी पड़ सकता है हमारे शरीर पर। हमारे देश में शुरू से हजारों-हजारों साल से यही पद्धति प्रचलित रही है। इसमें सिर्फ दवा ही नहीं शल्य चिकित्सा भी होती थी। यह कोई नयी पद्धति नहीं है।
अन्य वक्ताओं में अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम के वरिष्ठ वैद्य श्री बैकुंठनाथ पाण्डेय जी, संस्था के उपाध्यक्ष डॉ. ब्रजभूषण सिंह जी, डॉ. बामदेव पाण्डेय जी, मोतीलाल नेहरु मेडिकल कालेज, प्रयागराज के सर्जन प्रो.डॉ. संजय सिंह जी, होमियोपथिक चिकित्सक डॉ० अनिल जी थे। आप सभी ने इस आश्रम द्वारा पीड़ित उपेक्षित जनों की सेवा के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि पूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु ने पीड़ित मानवता की सेवा को ही सबसे बड़ा धर्म और पूजा-पाठ कहा है। आपलोगों ने योग-प्राणायाम करने की प्रेरणा दी और कहा कि इससे आप मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से मजबूत बनेंगे। श्री ओमप्रकाश तिवारी जी ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया।
गोष्ठी का सञ्चालन श्री सर्वेश्वरी समूह के प्रचार मंत्री श्री पारसनाथ यादव जी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्था के उपाध्यक्ष श्री सुरेश सिंह ने किया। गोष्ठी प्रारंभ होने से पूर्व पूज्य बाबा जी ने परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित करके आरती किया। श्री रविशंकर जी ने पूज्य बाबा और गोष्ठी अध्यक्ष को माल्यार्पण कर स्वागत किया। गोष्ठी के अंत में कुष्ठ सेवा आश्रम के अन्तरंग विभाग में इलाजरत कुष्ठी बंधुओं में फल व बिस्कुट आदि का वितरण किया गया।
उल्लेखनीय है कि परमपूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी द्वारा 1961 में स्थापित यह कुष्ठ सेवा आश्रम बिना किसी सरकारी सहायता के, आमजन के सहयोग से चलने वाला कुष्ठ आश्रम है। वर्तमान में पूज्यपाद बाबा गुरुपद संभव राम जी के सान्निध्य में इस कुष्ठ आश्रम द्वारा कुष्ठ रोगियों को पूर्ण स्वस्थ्य लाभ प्रदान किया जा रहा है। विदित हो कि अब तक लाखों कुष्ठ रोगियों को प्राचीन भारतीय चिकित्सा (आयुर्वेदिक और फकीरी) पद्धति से स्वास्थ्य लाभ देकर समाज में ससम्मान प्रतिष्ठित करने के लिए गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स और लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में अंकित किया गया है।