देहरादून। विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक अशोक सिंघल ने कहा कि मठ-मंदिरों की देखरेख या पुनर्निर्माण सरकार का काम नहीं है। न ही सरकारों को मंदिरों के मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपदा में क्षतिग्रस्त हुए केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण का जो प्रस्ताव रखा है, उसके पीछे कदाचित गुजरात के धनाढ्य लोगों के जरिये सहयोग उपलब्ध कराने का मकसद रहा होगा। उन्होंने उत्तराखंड में आई इस आपदा को प्राचीन धारीदेवी मंदिर व गंगा की अविरल धारा से छेड़छाड़ का नतीजा बताया।
देहरादून में विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक अशोक सिंघल ने दो टूक शब्दों में कहा कि देश के मठ-मंदिर हिंदू समाज व संतों की धरोहर हैं। सरकार मंदिरों के मामले में कतई हस्तक्षेप न करे। केदारनाथ धाम का पुनरुद्धार या पुनर्निर्माण मंदिर समिति व संतों का मामला है। विश्व हिंदू परिषद भी केदारनाथ मंदिर के पुनरुद्धार का काम अपने हाथों में लेगी। देवभूमि में यह दैवीय आपदा अनायास नहीं आई।
यह सब प्राचीन धारीदेवी मंदिर व गंगा की अविरल धारा से छेड़छाड़ का नतीजा है। हिमालय को खोखला व नदियों को निष्प्राण करने का परिणाम है। सरकार को इसके लिए क्षमा मांगनी चाहिए। साथ ही, धारीदेवी मंदिर को उसके पुराने स्थान पर स्थापित करने व गंगा से छेड़छाड़ नहीं करने की घोषणा करनी चाहिए। भागीरथी समेत मंदाकिनी व अलकनंदा में बन रहे बांधों का विरोध होना चाहिए।