रोहतक। सावन का महीना शुरू होते ही भगवान शिव का जलाभिषेक भी शुरू हो जाता है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए शहर के सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है।
शहर का सबसे अधिक प्रख्यात शमशान घाट शिव मंदिर काफी पुराना है। इसका इतिहास आजादी से पहले का है। सन 1942 में बनकर तैयार हुआ शिव मंदिर आज भक्तों के दिलों में वास करता है।
शिव मंदिर में पूरा साल भक्तों की भीड़ रहती है लेकिन सावन माह में भक्तों को नजारा देखने लायक होता है। मंदिर की खास बात यह है कि यहां स्थापित शिव परिवार की मूर्तियां शुरूआत से मंदिर में है और आज तक इन मूर्तियों को किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं पहुंची है। मंदिर में जो भी भक्त सच्चे दिल से जो कुछ भी मांगता है उसकी सभी मुरादें पुरी हो जाती है। यह जानकारी मंदिर के पंडित रवि शास्त्री ने दी।
उन्होंने बताया कि भगवान शिव की मूर्ति के आगे जो भी लगातार चालीस दिन तक बिना रूकावट के जोत जलाता है उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर में सूरत, मध्यप्रदेश, हिमांचल, पंजाब, दिल्ली व गुजरात से श्रद्धालु माथा टेकने आते है। मंदिर में लगी सभी मूर्तियों के मुकुट चांदी के बने हुए है। इसके साथ ही मंदिर का पवित्र शिवलिंग भी मंदिर निमार्ण के समय का है जो जयपुर के काले संगमरमर का बना हुआ है। उन्होंने बताया कि सावन माह में मंदिर के अंदर सुबह शाम भोले बाबा की भव्य आरती होती है। सुबह-शाम की आरती में सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर में जुटते है। वहीं शाम के समय भक्त बाबा का भजनों द्वारा गुणगान करते है। इसके साथ ही शिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में भंडारे का आयोजन किया जाता है और हर सोमवार को बाबा की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। शिवरात्रि को लेकर मंदिर में भक्तों की भीड़ देखने लायक होती है। शिवरात्रि से पहले की रात को ही भंडारा लगा दिया जाता है जो शिवरात्रि को शाम तक चलता है। इसके साथ ही यहां हजारों कावड़ भी चढ़ाई जाती है।