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 जप में महाशक्ति विद्यमान है | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

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जप में महाशक्ति विद्यमान है

mantraजाप और जप में अंतर है। जाप एक निश्चित उद्देश्य सहित कारण और अवधि के अंतर्गत होता है। यह कर्मकांड की तरह भी हो सकता है। यद्यपि इसे प्रचलित मान्यता समझना चाहिए, न कि निर्धारित व्याख्या। फिर भी कभी-कभी ये दोनों समानार्थक कहे जाते हैं, सामान्यत: ऐसा अंतर प्रकट नहीं होता। जप एक निरंतर प्रक्रिया है। जप योग वस्तुत: आत्मा का ही अनुशीलन है। यह चमत्कारिक योग ईश्वर की अनुभूति को कम से कम समय में पा लेने की साधना है। जब इसके द्वारा ईश की अनुभति होती हो, तब अन्य बातों से क्या प्रयोजन। सांसारिक उपलब्धियां वैसे ही जप योगी के पीछे भागती हैं। इसकी कई अवस्थाएं हैं, लेकिन किसी भी स्थिति में जप का प्रभाव शून्य नहीं होता। जप की शक्ति से रोगी को जीवनदान मिलता है, दरिद्र को वैभव प्राप्त होता है और निराश मनुष्य निर्भय हो जाते हैं। जप में महाशक्ति विद्यमान है जो हर तरह की समस्याओं का हल चाहने मात्र से कर सकती है। इससे सभी संकट दूर होते हैं और संसार में कुछ भी हासिल करना असंभव नहीं रहता। संसार में जप योग अमरत्व की बेल की तरह है।1जप आसान है, लेकिन जप योग कठिन है। जप से भी लाभ मिलता है। इस सीमित लाभ को अधिकांश लोग समझ नहीं पाते। इसलिए जप योग की साधना से ही पूर्णता मिलती है। इस बात का ध्यान रहे कि अमुक समय में सुसंगत मंत्र का जप विशेष फलदायी होता है। तार्किक दृष्टि से भले ही यह विश्वास जनित हो, लेकिन समय-समय पर मंत्रों का महत्व स्पष्ट है। इस योग में संशय सबसे बड़ी बाधा है। यह समझना होगा कि इस महान विद्या को अपनाना कल्याणकारी है। जप और तप की महिमा संत महात्माओं को ज्ञात थी और उन्होंने भगवान शंकर से इसका सूत्र पाया था। आज जप योग को भुला दिया गया है। तभी संकटों का अवसान नहीं हो रहा है। जप योग को फिर से जाग्रत करना चाहिए। सभी लोग इसके सूक्ष्म प्रभाव को समडों और वृहद प्रकृति को भी। जप योग से आंतरिक ऊर्जा उपलब्ध होती है।

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