वृंदावन। श्रीतीर्थ पुरोहित पंडा सभा के बैनरतले रामदल की शुरू हुई 84 कोस परिक्रमा यात्रा मंगलवार को मथुरा से चलकर मधुवन पहुंची। इस दौरान पड़ने वाले तीर्थस्थलों पर पूजन-अर्चन करने की श्रद्धालुओं में होड़ लगी रही।
परिक्रमा यात्रा का नेतृत्व कर रहे गिरधारी ब्रजवासी ने बताया कि वृंदावन से पैदल चलकर मथुरा के भूतेश्वर मंदिर पर पहुंची। जहां रात्रि विश्रम कर भोर में ही श्रद्धालु ने नित्य कर्म से विमुक्त हो मंदिरों के दर्शन को निकल पड़े। एक मंदिर से दूसरे मंदिर होते हुए पुन: पड़ाव स्थल पहुंचे। यहां बाल भोग ग्रहण कर श्रद्धालुओं का दल मधुवन की ओर रवाना हुआ। रास्ते भर कन्हैया के जयकारे और भजन-कीर्तन की धुन पर नाचते-गाते चल रहे श्रद्धालुओं के कारवां को देखने सड़क के दोनों ओर हजारों लोगों का हुजूम लगा रहा। सड़क पर चल रहे वाहन एक ओर खड़े होकर परिक्रमार्थियों के दर्शन करके ही पुण्य अर्जित करने की कामना करते देखे गए। सुबह से निकले श्रद्धालुओं का दल ध्रुवजी की साधना स्थली पहुंचा। जहां दर्शन-पूजन कर फिर कारवां आगे बढ़ा तो दोपहर को सड़क किनारे खेतों पर ही प्रसाद की व्यवस्था उनके लिए पहले से की गई थी। यहां प्रसाद ग्रहण कर कुछ देर खेतों में ही आराम कर श्रद्धालुओं का दल एक बार फिर भगवान श्रीकृष्ण-राधारानी के जयकारे करते हुए सायंकाल मधुवन स्थित पड़ाव पर पहुंचा। जहां रात्रि भोजन के बाद भजन-कीर्तन की धुन पर फिर से शुरू हुई।
वृद्ध श्रद्धालुओं को लठिया का सहारा 184 कोस परिक्रमा को निकले वृद्ध श्रद्धालुओं की जब हिम्मत जवाब देने लगी, तो उन्होंने लठिया का सहारा लिया। लठिया लेकर चलते हुए वह भगवान के नाम का जप करना नहीं भूले। जैसे-जैसे भक्तों का कारवां आगे बढ़ रहा है, श्रद्धालुओं के जोश में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।
84 कोसी परिक्रमा को रोक नहीं पाएगी सरकार-
अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा को लेकर संत-महंत माहौल को भांप रहे हैं। परिक्रमा के लिए संकल्पबद्ध संतों ने मंगलवार शाम को अटल्ला चौराहा के निकट परमधाम आश्रम में आपात बैठक बुलाई। इसमें अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा में जाने के लिये रणनीति बनाई गई।
शासन द्वारा अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा पर प्रतिबंध से संत समाज में रोष है। संत किसी भी कीमत पर यात्रा करना चाहते हैं। इसके लिए मंगलवार को संतों ने आपात बैठक बुला यात्रा की रणनीति बनाई। तय किया गया कि परिक्रमा के लिए ब्रज से 500 संत अयोध्या जाएंगे। प्रशासन ने सख्ती की तो संत रास्ते बदलकर पहुंचेंगे। इधर संतों की बैठक की भनक लगते ही पुलिस भी चौकन्नी हो गयी। महामंडलेश्वर स्वामी चितप्रकाशानंद ने कहा कि पुलिस-प्रशासन संतों का रास्ता नहीं रोक पायेगा। इस दौरान स्वामी गोविंदानंद तीर्थ, डंडी स्वामी रामदेवनंद सरस्वती, महामंडलेश्वर मोहननंदजी यती, आचार्य देवेंद्र चैतन्य, स्वामी जगन्नाथानंद, स्वामी शक्ति महाराज, ब्रह्म चैतन्य महाराज, स्वामी आदित्यानंद, स्वामी सुरेशानंद आदि मौजूद रहे।
पुलिस और खुफिया अलर्ट- संतों की बैठक की भनक लगते ही स्थानीय पुलिस और खुफिया एजेंसी के नुमाइंदे परमधाम आश्रम पहुंच गये। संतों ने पुलिस, एलआइयू और स्पेशल इंटेलीजेंस के पहरे में ही अपनी रणनीति बनाई। जबकि विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी और कार्यकर्ता बैठक से दूर रहे। हालांकि संतों की आपातकाल बैठक के बारे में विहिप कार्यकर्ताओं को पूर्व से जानकारी थी। लेकिन उन्होंने बैठक में शिरकत करना मुनासिब नहीं समझा।
विरक्त सन्यासी परिषद का गठन-बैठक में संतों ने विरक्त संन्यासी परिषद का गठन किया, परिषद आगामी दिनों में आदि भगवान शंकराचार्य नाम से अटल्ला चौराहा पर द्वार बनाएगी।