उप्र के 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा जादुई चिराग ले कर आयी थी और बम्पर मतदान के साथ ही जादुई जीत से ऐतिहासिक संख्या 312 सीटें अकेले दम पर जीत सरकार बनायी,इस बम्पर जीत के बाद गठबंधन गौण रह जाता है.राजनीतिक पंडित भी इस प्रत्याशा को भांप नहीं पाए और अवाक परिणामों का बेमन से स्वागत करते रहे ,आखिर क्या हुआ था ? कैसे हुआ था ? आज तक किसी को पता नहीं सबने एकमत हो भाजपा के अमित शाह को राजनैतिक चाणक्य की उपाधि ने नवाजते हुए उनके क़दमों में शीश झुका दिया।
सभी आंकलन कर्ताओं का मानना है की सोशल इंजीनियरिंग की बेहतर नाकेबंदी ने इस ऐतिहासिक जीत की रचना की लेकिन कई दबे मुंह इस जीत को नकारते हैं और आये परिणाम को जादुई चिराग से निकलना बताते हैं खैर बदली परिस्थितिओं में क्या जिन्न उतना ही ताकतवर रहेगा ? क्या जादुई चिराग पूर्ण बहुमत लाने में सफल होगा ? या नहीं हमने वर्तमान परिस्थितियों ,जनता के संवाद आंकलन ,मीडिया रिपोर्टों ,सोशल मीडिया के आंकलनों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की और चौंकाने वाले आंकड़े सामने आये
उप्र में एक तरफ जहां दलितों का वोट बैंक 25 फीसदी है तो ब्राह्मणों का वोट बैंक 8 फीसदी, 5 फीसदी ठाकुर व अन्य अगड़ी जाति 3 फीसदी है। ऐसे अगड़ी जाति का कुल वोट बैंक तकरीबन 16 फीसदी है।वहीं पिछड़ी जाति के वोट बैंक पर नज़र डालें तो यह कुल 35 फीसदी है, जिसमें 13 फीसदी यादव, 12 फीसदी कुर्मी और 10 फीसदी अन्य जातियों के लोग आते हैं।प्रदेश में 18 फीसदी मुस्लिम व 5 फीसद जाट वोट हैं.
उप्र में जातिगत आधार पर भाजपा ने वोटों का ध्रुवीकरण किया एवं इसे सोशल इंजीनियरिंग का नाम दिया एवं सरकार बनायी,जिन्हें जोड़ उन्होंने सत्ता हासिल की थी इस चुनाव में उन्हें धता बता दिया अब वह ध्रुवीकरण अखिलेश यादव की पार्टी सपा के पक्ष में है,कांग्रेस निश्चित ही वोटों का नुकसान सपा के लिए करेगी वहीँ बसपा के वोट भी तय हैं,रस्साकशी पिछड़े और ब्राह्मण वोटों को लेकर है 35 प्रतिशत पिछड़े और 18 प्रतिशत मुस्लिम वोट हैं ये मिला कर 53 प्रतिशत होते हैं वहीँ जीत के लिए 30 प्रतिशत वोटों की जरूरत है कुल 61 प्रतिशत वोट 2017 के चुनावों में डाले गए।
धर्मपथ के आंकलन के अनुसार या इसे हमारा एग्जिट पोल भी कह लें,2022 के विधानसभा चुनावों में लगभग 57 प्रतिशत मतदान होगा जिसमें भाजपा को 18 प्रतिशत के लगभग वोट मिलने की उम्मीद है इसके अनुसार उसे लगभग 61 सीटों पर जीत मिलेगी वहीँ बहुजन समाज पार्टी को 22 प्रतिशत मत प्राप्त होने की उम्मीद है,उसे लगभग 70 सीटों पर विजय दर्ज होने की संभावना है,समाजवादी पार्टी इस बार मत प्रतिशत के मामले में बढ़त पर रहेगी और उसे लगभग 30 प्रतिशत मत प्राप्त होने की उम्मीद की जा रही है इस मत प्रतिशत से उसे 231 सीटें मिल सकती हैं जो बहुमत के आंकड़े से काफी आगे है.
यह आंकलन हमने विभिन्न तथ्यों को देखते हुए निकाला है फिर भी पिछले चुनावों में जो अप्रत्याशित नतीजे आते हैं उन्होंने बड़े-बड़े आंकलनकर्ताओं के मुंह बंद कर दिए हैं,लेकिन यह स्पष्ट है यदि भाजपा को बहुमत चाहिए तो उसे अपने जादुई चिराग को ढूंढ कर लाना ही होगा और उसे इस्तेमाल करना होगा वरना कड़ी पराजय तय है.
धर्मपथ के लिए अनिल कुमार सिंह की रिपोर्ट