एक बार गुरु नानक देव अपने दोनों चेलों के साथ कामरूप देश गए. वहां के लोग अपने काले जादू के लिए प्रसिद्ध थे. नगर के द्वार पर पहुँचते ही, गुरु नानक एक पेड़ की
छाँव में ध्यान मुद्रा में बैठ गए. उनका चेला मरदाना गाँव के भीतर भोजन और जल का प्रबंध करने गया. दूसरा चेला बाला वहीँ गुरु के पास रुका. एक जलाशय पर मरदाना
अपनी पानी की सुराही भरने लगा तो, वहां उस नगर की रानी की दो बहने आ पहुंची.
उसने मरदाना से वहां आने का कारण पूछा. मरदाना के उत्तर देते ही वह दोनों हँस पड़ी. वह बोलीं की तुम तो भेड़ बकरी की तरह बोलते हो. चलो तुम्हे भेड़-बकरी जैसा बना दें. इतना बोल कर उन में से एक लड़की नें मरदाना को भेड़ बना दिया और वह भे… भें… करने लगा. समय अधिक हुआ तो गुरु नानक और बाला को चिंता हुई. वह दोनों ठीक उसी जगह आ पहुंचे. इस बार उन दोनों लड़कियों नें बारी-बारी मंत्र बोल कर वही टोटका गुरु नानक पर आज़माया. लेकिन उनमें से खुद एक लड़की बकरी बन गई और दूसरी लड़की का हाथ हवा में जम कर शिथिल हो गया.
वहां मौजूद लोगों नें नगर की रानी को यह सूचना दी. वह फ़ौरन मौके पर आ पहुंची. उसने भी पहले तो गुरु नानक पर अपना काला जादू आज़माया. कुछ ही देर में
असफ़लता मिलने पर वह जान गई की उस का पाला किसी दैवीय शक्ति वाले संत से पड़ा है.
माफ़ी मांग लेने पर दयालु गुरु नानक देव नें उन दोनों लड़कियों को ठीक कर दिया. तथा मरदाना को भी उसके असली रूप में ला दिया.
इस प्रसंग के बाद कामरूप के लोगों नें गुरु नानक देव से ज्ञान देने को कहा.
हमारे अंदर इश्वर का वास होता है. आप सब को, लोगों को परेशान करना छोड़ कर उनकी मदद करनी चाहिए. ध्यान करो, कर्तव्य पालन करो. लोगों से प्रेम करो. गुरु नानक यह उपदेश दे कर वहां से आगे बढे.