मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मप्र में कोरोना की दूसरी लहर आने का आज से एक महीने से पहले ही पता चल चुका था और उन्होंने इसके लिए लगातार प्रयास के दावे भी करने शुरू कर दिए थे,लगातार समीक्षा बैठकें करते रहे लेकिन ये दावे सिर्फ वल्लभ भवन के वातानुकूलित कमरों तक ही सीमित रह गए ,जैसा हमेशा से होता आया है शिवराज अपनी छवि बनाने अकेले ही मैदान में नजर आते है ,इस आपदा से निबटने उन्होंने अपने किन्हीं भी जिम्मेदार सहयोगियों को शामिल नहीं किया वे मीडिया में अकेले सामने आते रहे एवं बताते रहे की वे कितने गंभीर हैं इस मुद्दे पर लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ,एक कोरोना काल का प्रबंधन झेल चुके शिवराज के अधीनस्थ अधिकारियों ने भी इसे आया -गया माना और कुछ इंतजाम नहीं किये ,आज शिवराज रोजाना किसी न किसी अखबार को अपना इंटरव्यू दे रहे हैं और अपनी तारीफ का कसीदे पढ़वा रहे हैं लेकिन सच्चाई सामने है जनता त्राहि-त्राहि कर रही है.
अनिल कुमार सिंह धर्मपथ के लिए
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आधिकारिक फेसबुक पेज को खंगाले तो दिखता है 13 मार्च 2021 से उन्होंने कोरोना संक्रमण को लेकर अपनी चिंता एवं सुझाव परोसने शुरू कर दिए थे, प्रतिदिन की समीक्षा बैठकें ,संक्रमण से निबटने अस्पतालों के मुखिया ,आला-अधिकारीयों से समीक्षा ,निर्देश देने की ख़बरें रोजाना अपडेट होती रहीं ,इनमें मुख्य था वैक्सीन लगाने का आह्वान जिसका लक्ष्य इन्होने पूरा कर लिया लेकिन कोरोना संक्रमण इस विकराल रूप में सामने आएगा इसका अंदाज भी इन्हें नहीं था ,कागजी तैयारियां पर ताश के पत्तों के किले की तरह ढह गयीं और अकेले नेतृत्व के आदी वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अकेले ही रह गए ,वे अधिकारीयों को निर्देश देते रहे ,नए अधिकारीयों की नियुक्तियां आनन्-फानन में हुईं लेकिन वे यह देखना भूल गए की जिन्हें नियुक्त कररहे उनका भूतकाल क्या है जहँ-जहँ पग पड़े संतान के तँह-तँह बन्टाधार की तर्ज पर उन्होंने पी नरहरि को प्रभारी बना दिया।
शिवराज अपने स्वभाव अनुसार जब स्वास्थ्य-आग्रह पर बैठे तो राजनैतिक स्वरूप में अकेले कैमरा फेस नजर आये जो वे चाहते भी थे ,आयोजन स्थल पर जनसम्पर्क अधिकारीयों के अलावा उनके ख़ास दो -चार स्थानीय नेता और महिला मोर्चे की दो-चार बहनें उपस्थित थीं,ऐसा कोई भी राजनैतिक एवं प्रशासनिक चेहरा वहां नहीं आने दिया गया जो आने वाले रास्ते में शिवराज सिंह के राजनैतिक पथ के लिए काँटा बनता और इसका नतीजा सामने है मप्र में लाशों का अम्बार।
शिवराज सिंह चौहान ने 365 दिन प्रतिदिन एक पौधा लगाने का संकल्प लिया है लेकिन उन्होंने यह नहीं बता की यदि किसी स्थिति में वे मुख्यमंत्री पद पर नहीं रहते हैं तब क्या वे इस निरंतरता को जारी रखेंगे ?
आज स्थिति विकराल होने पर उन्होंने अवश्य अपने मंत्रियों को जिलों के प्रभार सौंपे हैं लेकिन अनमने मन से वे मंत्री आज तक सक्रीय नहीं हुए हैं ,कोरोना वालंटियर्स की भर्ती सिर्फ वैक्सीन लगाने के लिए प्रेरित करने में ही काम आयी ,आपदा पीड़ितों को अस्पताल में जगह ,दवाईयां,भोजन ,आक्सीजन दिलवाने में कोई नहीं आया सब भयभीत हैं और अस्पताल परिसर में ही जाने में डर रहे हैं वे क्या मरीजों की सेवा करेंगे ?
शिवराज की कोशिशें यह रंग अवश्य लाइन की वर्तमान परिदृश्य से सर्दी-जुकाम ,फ़्लू जैसा रोग गायब हो गया जहाँ देखो तहाँ कोरोना ,जिसका कोई इलाज नहीं वैक्सीन लगाने के बाद भी यह रोग हो रहा है और यह वायरल संक्रमण के साथ ही आता है एवं दोनों की प्रकृति एवं इलाज भी एक जैसा है.
आज शिवराज सिंह अखबारों के प्रतिनिधियों को घर बुला कर इंटरव्यू दे रहे हैं उनका दावा है गुजरात,महाराष्ट्र,उप्र,झारखंड से आक्सीजन मंगवाएंगे जबकि ये राज्य स्वयं आक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं,शिवराज कहते हैं आक्सीजन के छोटे-छोटे प्लांट लगाएंगे यह तो प्यास लगने पर कुआं खोदने वाली बात उन्होंने कही है सीधा है आज वे अकेले पद गए हैं ,वे समझ ही नहीं पा रहे की उन्हें करना क्या है इसकी भरपाई शिवराज अखबारों में अपनी बात रख जनता तक पहुंचाना चाहते हैं और अखबार उसे पहुंचा भी रहे है चाहे वह झूठ ही क्यों न हो.
इस संकट की घड़ी में उनका संगठन भी दूरी बनाये हुए है , संगठन के अगुआओं के समर्थक अपने-अपने आकाओं के अगला मुख्यमंत्री बनने के दावों को हवा दे रहे हैं,भाजपा के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से दूरी बना कर अपने अपने आंकलित नेताओं के दामन को थाम रखा है और अपने कार्य कर रहे हैं ,शिवराज सिंह के झूठे दावे 16 वर्ष अवश्य चले हों लेकिन यह मामला लाशों का है जिनकी संख्या बहुत सी अभी भी छुपी हुयी है और इसके जिम्मेदार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं.