आप इस धरती में कामयाब होने आए हैं न सिर्फ भौतिक रूप से बलिक आध्यात्मिक रूप से भी। इसके लिए जरूरी है कि आप अपनी शक्तियां पहचानें, सकारात्मक सोच रखें। विश्वास परमात्मा का, सदगुरु का, स्वयं का और बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त करें, सफलता की राह में इन सभी का लाभ मिलता है।
अपने अन्दर की ज्योति का सहारा लो कभी भी हार नहीं मानना, हार मान गए तो हार जाओगे। सफल होना है, जरुर होना है, निराशा-उदासी नहीं आने देना क्योंकि उदासी नकारात्मक रूप है और आशा सकारात्क रूप है। सबसे बड़ी सकारात्मक शक्ति है आपकी मुस्कुराहट, अपनी मुस्कराहट बनाए रखें। दुःख-समस्या आए तो घबराए नहीं, मन को शांत करके समस्या का समाधन खोजें।
माथा ढीला छोड़ दें, चेहरे पर मुस्कान लाएं, लम्बे गहरे श्वास लें, प्रभु का नाम लेकर, प्रणाम करके उससे पूछे क्या करूं? कैसे करूं? तू ही बता। तनाव मुक्त होते जाओ, गाओ-गुनगुनाओ, हंसो और मुस्कुराओ। इंसान को खोखला करता है तनाव। जीवन शैली बदलो-तनाव दूर होगा।
आपसे कीमती कुछ नहीं है। चीजें पड़ी रह जाएंगी, एक कीमती जिन्दगी खत्म हो जाएंगी। स्वयं को पहचानो, अपनी शक्ति अन्दर से जागृत करो। जीवन-यात्रा में हमारा लक्ष्य है परम आनन्द की प्राप्ति। अपनी दिव्य शक्तियां पहचानें। आप शरीर नहीं, दिव्य-चेतना हैं और उस परम चैतन्य की यात्रा के लिए निकले हैं।
उस पतित पावन का सानिध्य प्राप्त करने के लिए कुछ शब्द याद रखें जो इस यात्रा में सहायक हैं। प्रार्थना, प्रेरणा प्यास, पराक्रम, पुरुषार्थ, प्रतीक्षा, प्रयास, प्रसाद यह आठ गुण याद रखें तो उस परम प्यारे से मिलने में देर नहीं लगेगी। इच्छा-चाहना संसार की नहीं, उस परम की रखो। उस का प्यार मिलेगा, संसार अपने आप पीछे आएगा। आपको संसार के पीछे नहीं लगना पड़ेगा और उस परम के धाम की यात्रा आसानी से पूरी हो जाएगी।