किसी के चमत्कार, किसी के बहुत बड़े विज्ञापन, किसी के नाटक से प्रभावित मत होइए। आपकी आत्मा और आपका हृदय जब गवाही दे तभी स्वीकार करना। इसलिए भी प्रभावित नहीं होना कि किसी के पास में बहुत भीड़ आ रही है।
इतने सारे लोग जा रहे हैं तो जरूर कोई बात होगी, यह बात मत सोचना कभी भी, क्योंकि आज का युग विज्ञापन का युग है, लोग नाटक और ड्रामा बहुत करते हैं।
अगर आप यह मानते हैं कि अपना कल्याण आपको करना है, तो किसी तरह के विज्ञापन, किसी तरह के चमत्कार, किसी तरह के ड्रामे और किसी तरह के वे लोग जिनको पहले से ही यह सिखाया जाता है कि खड़े होकर यह कहो हमें यह चमत्कार हो गया, हमें यह लाभ हो गया।
बीस-बीस आदमी एक साथ खड़े होकर घोषणा करते हैं, अमुक जगह चमत्कार हो गया और वही बीस आदमी हर जगह जाएंगे, चमत्कार की घोषणा करने के लिए। भोली जनता कभी नहीं समझ पाती। इसलिए सबसे पहले यह बात ध्यान रखना कि धर्म के नाम पर कोई भी किसी तरह का ड्रामा करता हो उसको देखकर प्रभावित नहीं होना।
सबसे पहले यह निश्चय करना कि जो कहा जा रहा है, वह आपके हृदय के अनुकूल है। दूसरी बात व्यवहारिक जगत् में, व्यवहार के पक्ष में वे बातें ठीक हैं। तीसरी बात सोचना शास्त्र सम्मत है, चौथी बात सोचना विज्ञान सम्मत है या नहीं, यह केवल अन्धविश्वास तो नहीं है।
सारी बातों का निश्चय करने के बाद एकान्त में बैठकर चिन्तन करना और जब लगे आपको कि कहीं सही जगह आप आ गए हैं, तो फिर हिलने नहीं देना अपने मन को। अगर आपको यह एहसास हो जाए कि आप सही जगह पहुंच गए हैं तो फिर एक ही स्थान पर खोदते चले जाना पानी जरूर मिल जाएगा।
अगर दस जगह आपने गड्ढा खोदना शुरू कर दिया तो पानी भी मिलने वाला नहीं है और शक्ति भी व्यर्थ हो जाएगी। अपने मन को एक जगह जरूर टिका लेना लेकिन यह बात ध्यान रखना कि सत्य तक पहुंचने के लिए शुरूआत में थोड़ा-सा परिश्रम करना पड़ेगा।