अयोध्या – सुप्रीम कोर्ट ने आज अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया, इस फैसले का पूरा देश बड़े बेसब्री से इंतजार कर रहा था। अपने ऐतिहासिक फैसले में अदालत ने रामलला पक्ष को विवादित जमीन का मालिकाना हक देने का आदेश दिया, वहीं मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया। इस मुद्दे में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग का जिक्र किया जिसमें उन्हें मस्जिद के नीचे मंदिर का अवशेष मिले थें।
भारतीय पुरातत्व विभाग ने सबसे पहले अयोध्या के बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष ढूंढे थे। इन अवशेषों को ढूंढ कर जिस व्यक्ति में दुनिया के सामने लाया था उसका नाम है के के मुहम्मद। के के मुहम्मद वही पुरातत्वविद हैं जिन्होंने सबसे उल्लेखनीय योगदान बाबरी मस्जिद के नीचे एक मंदिर दबे होने की खोज को दुनिया के सामने लाए थे।
के के मुहम्मद को 1976 में राम जन्म भूमि संबंधी पुरातात्विक की खुदाई की थी। खुदाई के बाद उन्होंने यह कहा था कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष मिले हैं।
के.के. मोहम्मद ने अपनी आत्मकथा में मलयालम भाषा में (नजान एनना भरेथीयन – पृष्ठ 114, मी भरेथीय) ने कहा कि बाबरी मस्जिद के तहत एक मंदिर (11-12 वीं शताब्दी ईस्वी) के अस्तित्व के लिए ठोस सबूत थे। उत्खनन के पहले के दिनों में भारतीय मुस्लिम समुदाय हिंदुओं को जमीन सौंपने के लिए उत्सुक था, लेकिन कम्यूनिस्ट (वामपंथी) इतिहासकारों जैसे अलीगढ़ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर इरफान हबीब और जेएनयू के अन्य इतिहासकारों ने इस विवाद का समाधान होने से रोका।
आपको बता दें कि के के मुहम्मद सिर्फ एक पुरातत्वविद नहीं हैं जिन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के निदेशक के तौर पर काम किया बल्कि यह वह पुरातत्वविद है जिसने प्राचीन मंदिरों को सहेजने में अपनी पूरी जिंदगी लगा दी। उनके प्रमुख खोजों में बटेश्वर, मुरैना ग्वालियर से ४० किमी दूर स्थित 200 प्राचीन शिव और विष्णु मंदिरों का परिसर है। खजुराहो से २०० साल पहले गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के दौरान ९ वें और ११ वीं शताब्दी के बीच इन मंदिरों का निर्माण हुआ था। उन्होंने ही छत्तीसगढ़ के जगदलपुर के पास दंतेवाड़ा जिले में बारसुअर और समलुर मंदिरों को संरक्षित किया था।
आज अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर के के मुहम्मद ने कहा कि यह ठीक उसी तरह का निर्णय है जैसा हम सभी चाहते थे। एएसआई ने अयोध्या मामले में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आगे मुहम्मद ने कहा है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद से पहले राम मंदिर मौजूद था। इस बात की पुष्टि के लिए एएसआई की पूरी टीम ने इस पर अपनी जांच-पड़ताल की है और हमेशा से साक्ष्यों का पीछा किया है।