वृंदावन। फैशन से भगवान भी अछूते नहीं रहे। ठाकुर जी के वस्त्रों में अब न केवल वैरायटी का ख्याल रखा जा रहा है, बल्कि क्वालिटी भी देखी जा रही है। जरदोजी के साथ लहरिया पोशाक खास पसंद बन गई है। सात समंदर पार भी ठाकुर जी की पोशाक के रंग बिखरेंगे। परदेस से इसके लिए यहां ऑर्डर भी आने लगे हैं।
सावन-भादों के लिए कान्हा की नगरी के बाजार में ठाकुरजी की पोशाक, श्रंगार की दुकानें सज गई हैं। ग्राहकों की संख्या बढ़ गई है। विदेशों से भी ऑर्डर मिलने लगे हैं। इससे दुकानदारों के चेहरे खिल उठे हैं। सावन में हरियाली तीज से शुरू होकर रक्षाबंधन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, राधाष्टमी पर्व के दौरान ठाकुरजी की पोशाक, श्रंगार सामग्री की बिक्त्री बढ़ जाती है। मंदिरों में ठाकुरजी को तरह-तरह की आधुनिक पोशाक पहनाई जाती है। सात समंदर पार रह रह रहे कान्हा के भक्त भी उन्हें आकर्षक पोशाक पहनाना चाहते हैं। डिमांड को देख बिक्त्री के रिकॉर्ड टूटने की संभावना है।
ये पोशाक खास आकर्षण-शहर में बनाई जा रही जरदोजी की पोशाक, स्पेशल कटवर्क, राधाकृष्ण की पायजामे वाली पोशाक, लहरिया के अलावा स्पेशल पान पत्ता की पोशाक भी भक्तों को भा रही है। इनकी कीमत दो से लेकर पंद्रह हजार रुपये तक है। पोशाक के बाजार का करोड़ों का टर्नओवर-ठाकुरजी की पोशाक बनाने के मामले में वृंदावन दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र है। बाजार में हर वर्ष करोड़ों का टर्नओवर होता है।
यहां की बनी पोशाक देश के छोटे-बड़े शहरों के अलावा आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, यूएसए में भी भेजी जाती है।