हर इंसान को दानी बनना चाहिए। दानी धन के नहीं बल्कि ज्ञान के, दुख के नहीं बल्कि सुख के, अशांति के नहीं बल्कि शांति के। उदासी का नहीं बल्कि प्रेम का दान करो।
सेवा, साधना व सत्संग एक साथ हो तो जीवन में आनंद आता है और इसी को जीवन जीने की कला भी कहते हैं। जब हम किसी की सेवा करते हैं तो उससे जो आनंद की प्राप्ति होती है वही मानव की शक्ति है।
सेवा के बाद जब साधना की जाती है तो और बल मिलता है और सेवा साधना के बाद सतसंग से संपूर्ण प्रसन्नता प्राप्त होती है।
मन में शिव व शक्ति दोनों का निवास होता है और स्वस्थ मन में ही यह निवास करते हैं, इसलिए हर मनुष्य को एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए।
यह भी ध्यान देना चाहिए हमेशा दूसरे का कल्याण करें भला करें तभी जगत कल्याण होगा। जरूरत है कि अपने आप को समझें और भगवान पर विश्वास रखें।