सावन मास में सोमवार का विशेष महत्व होता है। लेकिन सावन से पहले ही इस वर्ष 8 जुलाई को ऐसा सोमवार आया है जिस दिन भगवान शिव की पूजा करके अपनी असफलता को सफलता में बदल सकते हैं। इस सोमवार का महत्व इसलिए विशेष हो गया है क्योंकि इस दिन अमावस्या तिथि है।
स्कंद पुराण के अनुसार अमावस्या और सोमवार का एक साथ होना एक विशेष योग बनाता है। ऐसे अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन किया गया दान, जप एवं शिव पूजा का विशेष फल मिलता है।
सोमवती अमावस्या को पितृदोष से मुक्ति प्रदान करने वाला भी कहा गया है। ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है कि पितृ गण नाराज हों तब सामने आई आयी सफलता अचानक असफलता में बदल जाती है। पितृ गणों की नाराजगी से संतान सुख में भी बाधा आती है। जीवन में बार-बार कष्ट और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पितृ गणों को खुश करने के लिए सोमवती अमावस्या उत्तम दिन माना गया है। इस दिन भगवान शिव का दूध से अभिषेक करके उन्हें दूध से बना पदार्थ ही अर्पित करना चाहिए। इसके बाद पीपल की जड़ को दूध से सींचना चाहिए। इसके बाद पीपल के पत्तों पर पांच प्रकार की मिठाईयां रखकर पितरों का ध्यान करें। इसके बाद पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करें। प्रसाद स्वयं ग्रहण नहीं करें, लोगों में बांट दें।
सोमवती अमावस्या के दिन मौन रहकर प्रातःकाल स्नान करने का बड़ा महत्व है। ऐसा करने से एक हजार गाय दान करने का फल प्राप्त होता है।