भोपाल- मध्य प्रदेश में सोयाबीन का उत्पादन करने वाले किसान गंभीर कृषि संकट से जूझ रहे हैं। एक महीने पहले तक स्थिति यह थी कि प्रदेश को 50 साल के सबसे बड़े सूखे का सामना करना पड़ रहा था, जिसके कारण सोयाबीन की फसल सूख रही थी। उसके बाद ईश्वर की कृपा से बारिश आई, लेकिन उसके तुरंत बाद फसल में कीड़ा लग गया। इस समय स्थिति यह है कि मध्य प्रदेश में 53 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जो सोयाबीन की फसल लगाई है गई है वह पूरी तरह से बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गई है। कांग्रेस ने इसे शिवराज निर्मित आपदा करार दिया है।
पूर्व सीएम कमलनाथ ने मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने बुधवार को सीएम चौहान पर निशाना साधते हुए कहा कि किसान सरकार से लगातार मांग कर रहा है की फसल नष्ट होने का सर्वेक्षण किया जाए और तत्काल मुआवजा और राहत राशि का वितरण किया जाए। लेकिन मुआवजा देना तो दूर अब तक शिवराज सरकार ने फसल को हुए नुकसान का सर्वेक्षण भी नहीं कराया है जिसके चलते किसान आंदोलन करने को विवश है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के विदिशा, सीहोर, खरगोन, खंडवा, नर्मदापुरम, इंदौर, धार, रतलाम, उज्जैन, हरदा, बैतूल और मंदसौर जिला में मुख्य रूप से किसान सोयाबीन की खेती करते हैं। इन सभी जिलों के 40 लाख से अधिक किसान सोयाबीन नष्ट होने से परेशान है।
बबेले ने बुधवार को पीसीसी मुख्यालय में प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि खंडवा जिले के बुराडिया गांव में 20 सितंबर 2023 को आदिवासी किसान पंढरी भील ने फसल खराब देखकर अपने खेत में ही आत्महत्या कर ली। अगर सरकार ने शीघ्र ही किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया और उन्हें तत्काल मुआवजा नहीं दिया तो अन्य किसानों के लिए भी खेती के साथ जीवन का संकट खड़ा हो जाएगा। बबेले ने कहा कि किसानों पर आई यह आपदा सिर्फ आसमानी नहीं है बल्कि सुल्तानी भी है। मध्य प्रदेश के स्वघोषित सुल्तान शिवराज सिंह चौहान ने अपने 18 साल के कार्यकाल में ऐसी नीतियां बनाई हैं जिससे सोयाबीन का किसान हर तरफ से मार खा रहा है। तीन साल पहले तक मध्य प्रदेश सोयाबीन उत्पादन में नंबर वन राज्य हुआ करता था लेकिन शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मध्य प्रदेश का यह तमगा चला गया है। आज महाराष्ट्र देश में सबसे अधिक सोयाबीन उत्पादन करने वाला राज्य बन गया है।