सावन का महीना चल रहा है। इन दिनों भक्तगण भगवान शिव को खुश करने के लिए कांवड़ में गंगाजल भरकर शिवलयों में पहुंच रहे हैं तो कुछ भक्त नियमित दूध से शिवलिंग का अभिषेक कर रहे हैं।
सभी शिवालय इन दिनों शिव के जयकारों से गूंज रहे हैं। लेकिन देवभूमि का एक शिवालय ऐसा है जहां मौजूद शिवलिंग भक्तों की प्रतीक्षा कर रहा है लेकिन इसे दूध और गंगाजल क्या समान्य जल देने वाला भी कोई नहीं।
यह शिवालय उत्तराखंड के चम्पावत जिला में हथिया नौला नामक स्थान में बना हुआ है। इस शिवालय के विषय में कथा है कि इस गांव में एक शिल्पकार रहता था। हादसे में शिल्पकार का एक हाथ कट गया।
गांव वाले उसे उलाहना देते कि भला एक हाथ से अब मूर्तियां कैसे बनाओगे। लोगों के ताने उलहाने सुन सुनकर मर्तिकार दुःख हो गया। एक रात शिल्पकार हाथ में छेनी, हथौड़ी लेकर गांव के दक्षिण दक्षिण दिशा में निकल गया।
शिल्पकार ने रात भर में ही एक बड़े से चट्टान को काटकर मंदिर और शिवलिंग का निर्माण कर दिया। सुबह लोगों ने जब इस मंदिर को देखा तो हैरान रह गए। शिल्पकार को गांव में ढूंढा गया लेकिन उसका कोई अता-पता नहीं था। लोग समझ गये कि यह उसी शिल्पकार का काम है जिसे वह ताना दिया करते थे।
पण्डितों ने मंदिर का निरीक्षण किया तो पाया कि शिवलिंग का अरघा विपरीत दिशा में है। विपरीत दिशा में अरघा होने के कारण माना गया कि इस शिवलिंग की पूजा से कोई अनहोनी घटना हो सकती है।
लोगों ने अनहोने के डर से शिवलिंग की पूजा नहीं की और आज भी इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग भक्त का तरस रहा है। संभवतः जल्दबाजी में शिल्पकार से यह गलती हो गयी थी। लेकिन मंदिर के पास मौजूद एक सरोवर है जिसे पवित्र माना जाता है यहां मुण्डन एवं दूसरे संस्कार किये जाते हैं।