बेंगलुरु : कांग्रेस ने आज कर्नाटक विधानसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत प्राप्त कर राज्य में अपने बलबूते पर सरकार गठन करने का मार्ग प्रशस्त कर लिया। पार्टी ने सात साल बाद भाजपा को न केवल सत्ता से बेदखल कर दिया बल्कि उसे दोहरे अंक तक सीमित रहने को मजबूर कर दिया।
मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने पार्टी की हार स्वीकार करते हुए बुधवार शाम अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राज्यपाल ने उन्हें अगली सरकार का गठन होने तक सत्ता में बने रहने को कहा है। राष्ट्रीय स्तर पर अनेक घोटालों के आरोप झेल रही कांग्रेस राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी 113 सीटों से कहीं अधिक 121 सीटें हासिल कर अपने दम पर राज्य में सरकार बनाने जा रही है। उसे सीटों के मामले में करीब 60 प्रतिशत का फायदा हुआ है। निवर्तमान विधानसभा में उसकी 77 सीटें थीं जिसमें 44 सीटों का इजाफा हुआ है।
भ्रष्टाचार और गुटबाजी से जूझ रही भाजपा को करारी पराजय का सामना करना पड़ा और महज 40 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और अन्य कई नेताओं के पार्टी से अलग होने का खामियाजा उसे भुगतना पड़ा। पार्टी से अलग हुए इन नेताओं ने भाजपा को हराने में अहम भूमिका जरूर निभायी लेकिन अपने लिए वे कुछ खास नहीं कर पाये।
येदियुरप्पा की पार्टी कर्नाटक जनता पक्ष को केवल छह सीटें ही मिल पायीं जबकि बेल्लारी बंधुओं के नजदीक मानी जाने वाली भाजपा के एक पूर्व मंत्री श्रीरामलु की पार्टी बीएसआर कांग्रेस ने की गत भी येदियुरप्पा की पार्टी की तरह ही रही और उसकी झोली में केवल चार सीटें ही आ पायीं। निवर्तमान सरकार के कार्यकाल के अंतिम दिनों में शेट्टार मंत्रिमंडल से अलग हुए सी पी योगीश्वर ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चन्नापट्टा सीट से जदएस के प्रदेश अध्यक्ष एच डी कुमारस्वामी की पत्नी अनिता को लगभग 6500 मतों से हराया।
अपने ही गढ़ में भाजपा का प्रदर्शन कितना कमजोर रहा यह बात दक्षिण कन्नड़ और उडूपी के तटीय जिलों से जाहिर होती है जहां पार्टी का सूपड़ा लगभग साफ होने को है। येदियुरप्पा के गृह जिले शिमोगा और बेल्लारी में भी भाजपा की यही हालत रही। सत्तारूढ़ भाजपा के प्रति नकारात्मक रुख का फायदा पूर्व मुख्यमंत्री एच कुमारस्वामी की पार्टी जनता दल एस को भी मिला। वर्ष 2008 में जहां उसे 28 सीटें मिली थीं वहीं इस बार उसे 12 सीटों का फायदा हुआ और उसके खाते में भी 40 सीटें आयी हैं।
इस बार राज्य में एक विचित्र स्थिति पैदा हो गई है क्योंकि भाजपा और जनता दल एस दोनों ही 40-40 सीटें हासिल कर दूसरे स्थान पर हैं। मुख्य विपक्षी दल का दर्जा पाने के लिए आवश्यक दस प्रतिशत सीटें इन दोनों ही दलों को हासिल हैं और अब यह नवगठित विधानसभा के अध्यक्ष पर ही निर्भर करेगा कि यह दर्जा वह दोनों में से किस पार्टी को प्रदान करें। वैसे विधानसभा की एक बची हुई सीट के लिए अभी 28 मई को चुनाव होना शेष है।
उधर, कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलने के साथ ही अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री पद की तरफ हैं कि कौन इस पद पर काबिज होगा। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम. मल्लिकार्जुन खड़गे और सदन में विपक्ष के नेता सिद्धरमैया को माना जा रहा है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि इस दौड़ में शामिल तीसरे नेता कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष जी. परमेश्वर कोराटागेरे से चुनाव हार गए जिससे उनका दावा कमजोर पड़ गया है।
इस पद में कुछ अन्य नेता भी शामिल हैं लेकिन केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री खड़गे तथा सिद्धरमैया को दौड़ में अग्रणी माना जा रहा है। खड़गे ने कहा, ‘आलाकमान के किसी भी निर्णय का मैं पालन करूंगा।’ सिद्धरमैया ने सीधे-सीधे इस पद के लिए दावा पेश किया। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मैं इसके लिए मजबूत उम्मीदवार हूं।’
मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार (हुबली धारवाड़ सेन्ट्रल), येदियुरप्पा (शिकारीपुरा), सिद्धारमैया (वरूणा) और एचडी कुमारस्वामी (रामनगरम) अपनी-अपनी सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहे लेकिन मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में शामिल प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीएस परमेश्वर (कोराटगेरे) हार गये। उपमुख्यमंत्री के.एस ईश्वरप्पा समेत जगदीश शेट्टार मंत्रिमंडल के 12 मंत्रियों को मिली हार ने भाजपा के लिए जले पर नमक का काम किया है।
ईश्वरप्पा को शिमोगा में मिली हार इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि वह भाजपा की राज्य इकाई के पूर्व प्रमुख थे और उनके पास ग्रामीण विकास, पंचायती राज और राजस्व मंत्रालय की जिम्मेदारी थी। उनके अलावा चुनाव हारने वालों में एक बड़ा नाम उद्योग मंत्री मुरुगेश आर निरानी का है। उन्होंने बिल्गी से चुनाव लड़ा था। कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री सी एम इब्राहिम भद्रावती में तीसरे स्थान पर रहे।
पांच साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा ने इस दक्षिणी राज्य में अपने दम पर सरकार बनाई थी। यह दक्षिण भारत के किसी राज्य में भाजपा की पहली सरकार थी। तब भाजपा को 110 सीटें, कांग्रेस को 80 सीटें और जद:एस: को 28 सीटें मिली थीं। कुल 224 सदस्यीय विधानसभा में मतदान 223 सीटों पर हुआ है क्योंकि मैसूर जिले की पेरियापटना विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार की मौत के चलते मतदान की तारीख बढ़ा दी गई है। वहां 28 मई को मतदान होगा।