मुंबई। सहारा समूह के खिलाफ अपना कड़ा रुख बरकरार रखते हुए बाजार नियामक सेबी ने उसके रिफंड दावे पर सवाल खड़े किए हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन यूके सिन्हा ने एक सेमिनार में कहा कि तीन-चार महीने में कोई निवेशकों को 20 हजार करोड़ रुपये कैसे लौटा सकता है। ऐसे लगभग नामुमकिन दावों पर कैसे भरोसा किया जा सकता है। उन्होंने आम लोगों से अवैध रूप से फंड जुटाने पर लगाम लगाने के लिए सही नजरिया अपनाने की अपील की।
सहारा का मामला
सहारा समूह की दो कंपनियों ने सेबी की मंजूरी के बगैर डिबेंचर जारी कर निवेशकों से 24,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। इसके खिलाफ नियामक ने सुप्रीम कोर्ट तक लंबी लड़ाई लड़ी। बीते साल अगस्त में शीर्ष अदालत ने सहारा के खिलाफ फैसला देते हुए उसे निवेशकों से वसूली गई रकम 15 फीसद ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया था। साथ ही इस आदेश को लागू करने की जिम्मेदारी सेबी पर डाली। इस मामले में नियामक ने फरवरी में समूह के मुखिया सुब्रत राय और तीन अन्य निदेशकों के अलावा दोनों कंपनियों की संपत्ति और खाते जब्त करने का आदेश दिया। अब सेबी ने इन चारों को व्यक्ति रूप से 10 अप्रैल को पेश होने को कहा है।
और भी हैं उगाही की स्कीमें
सिन्हा के मुताबिक, यह मामला कोई अकेला नहीं है। आज भी तमाम कंपनियां नए-नए तरीके ईजाद कर सीधे-सादे निवेशकों को ठग रहे हैं। कोई कंपनी एमू पक्षी तो कोई बकरी पालन की स्कीम चला रही है। ऐसी कंपनियों आम लोगों से करोड़ों-अरबों रुपये जमा करा रही हैं। ऐसी कंपनियों पर रोक लगाने के लिए अब समूचे वित्तीय क्षेत्र के लिए एक रेगुलेटर (नियामक) बनाना जरूरी हो गया है। उन्होंने इस सिलसिले में सामूहिक निवेश स्कीम (सीआइएस) का हवाला दिया। ये स्कीमें सेबी के अधिकार क्षेत्र में आती हैं। कोऑपरेटिव बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को सेबी के बजाय रिजर्व बैंक के दायरे में रखा गया था। वहीं, चिट फंड राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में रह गए। इसकी वजह से ऐसी कई कंपनियां निवेशकों से उगाही करने में सफल हो जाती हैं। वैसे, अब इस तरह की स्कीमें चला रही कंपनियों के खिलाफ विरोध भी शुरू हो गया है। बंगाल में अलीपुर व दुर्गापुर और ओडिशा में कटक के लोग ऐसी स्कीमों के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं।
एक चर्चित मामला है। मैं नाम नहीं लेना चाहता, लेकिन एक खास कंपनी यह दावा कर रही है कि उसने कथित निवेशकों को 20,000 करोड़ रुपये वापस कर दिए। इसमें भी 90 फीसद राशि नकद में 3-4 महीने के भीतर लौटाई गई है। मैं चाहता हूं कि आप इस पर सोचें कि यह कैसे संभव है और यह कहानी कितनी भरोसेमंद हो सकती है। -यूके सिन्हा, सेबी चेयरमैन