नई दिल्ली।। सहारा ग्रुप के मालिक सुब्रत रॉय गिरफ्तार होंगे? मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सुब्रत रॉय और उनकी कंपनी के दो डायरेक्टरों को गिरफ्तार करने और उनके पासपोर्ट जब्त करने की मांग की है। डिबेंचर मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश न मानने पर सेबी ने शुक्रवार को अर्जी दी। सेबी की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट अप्रैल में सुनवाई करेगा।
इससे पहले, सहारा द्वारा पैसे न चुकाए जाने पर सेबी ने सहारा ग्रुप के बड़े अधिकारियों के साथ ग्रुप कंपनियों के बैंक खाते सील कर दिए थे। इसके बाद सहारा ने सुब्रत रॉय सहारा की निजी संपत्ति और बैंक खातों को जब्त करने के सेबी के फैसले को चुनौती दी। कुछ दिनों पहले सेबी ने सहारा से लेन-देन को लेकर इन्वेस्टर्स को चेतावनी जारी की थी। सेबी ने सहारा ग्रुप की दो कंपनियों और उसके प्रमोटर्स सहित सुब्रत रॉय के साथ किसी भी तरह के लेन-देन को लेकर इन्वेस्टर्स और आम लोगों को आगाह किया था। सेबी ने सहारा ग्रुप की दो कंपनियों, सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉर्प लिमिटेड और सहारा हाउज़िंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प लिमिडेट सहित ग्रुप के चेयरमैन सुब्रत रॉय और प्रमोटर्स के बैंक अकाउंट्स, इन्वेस्टमेंट व बाकी सभी संपत्तियां कुर्क करने का आदेश दिया था।
क्या है मामला
सेबी ने इन्वेस्टरों के पैसे लौटाने को लेकर सहारा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने ग्रुप को अपनी दो कंपनियों में लगे इन्वेस्टर्स के पैसे 15% ब्याज के साथ तीन किस्तों में लौटाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कंपनी को इन्वेस्टर्स के 17400 करोड़ रुपये 15% ब्याज के साथ फरवरी तक तीन किस्तों में लौटाने को कहा था। कंपनी को शेयर में परिवर्तनीय बॉन्ड से जुटाए गए धन के लिए अब ब्याज के साथ कुल 24,000 करोड़ रुपए लौटाने हैं।
मामले की सुनवाई करने वाली चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर की बेंच ने सहारा ग्रुप को निर्देश दिया था कि वह मार्केट रेग्युलेटर सेबी को 5,120 करोड़ रुपए का डिमांड ड्राफ्ट सौंपे और शेष राशि दो किस्तों में सेबी के पास जमा कराए। बेंच ने 10,000 करोड़ रुपए की पहली किस्त का भुगतान जनवरी 2013 के पहले हफ्ते तक और शेष राशि फरवरी 2013 के पहले हफ्ते तक जमा कराने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सहारा ग्रुप अगर 20 दिसंबर 2012 तक सारे दस्तावेज जमा करने और भुगतान करने में नाकाम रहा तो सेबी कार्रवाई करने को स्वतंत्र होगा।
31 अगस्त 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ग्रुप द्वारा चलाई जा रही दो फाइनैंस स्कीम गैर-कानूनी हैं, लिहाजा ग्रुप को इन्वेस्टर्स की रकम ब्याज सहित लौटानी होगी। दोनों फाइनैंस फर्मों ने इस दावे के साथ छोटे इन्वेस्टर्स को बॉन्ड्स बेचे थे कि 10 साल बाद फेस वैल्यू का तीन गुना फायदा मिलेगा। सेबी का कहना है कि सहारा ने 2.7 करोड़ इन्वेस्टर्स से 27,000 करोड़ रुपए जुटाए थे। सहारा ने पहले कहा कि इस पैसे को 63 शहरों में रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट्स में इन्वेस्ट किया गया है। बाद में दावा करने लगी थी कि उसने पूरे पैसे लौटा दिए हैं और सिर्फ 5,000 करोड़ रुपए की बाकी रकम लौटाई जानी है।