नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह की दो कंपनियों पर बाजार नियामक सेबी की जब्ती कार्रवाई पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। हालांकि अदालत ने सेबी को इन संपत्तियों की बिक्री नहीं करने को कहा है। सर्वोच्च अदालत ने सहारा के अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना की याचिका पर सुनवाई भी 17 जुलाई तक के लिए टाल दी है। इस याचिका में सेबी ने समूह के मुखिया सुब्रत राय सहित अन्य अधिकारियों की गिरफ्तारी की इजाजत मांगी है।
सेबी के वकील अरविंद दातार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सहारा के खिलाफ कार्रवाई करने के नियामक के अधिकार पर कोई बंदिश नही लगाई है। साथ ही निवेशकों की रकम लौटाने के मामले में अदालत ने सेबी को निवेशकों की वैधता का विशेष ध्यान रखने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि निवेशकों की वैधता साबित होने के बाद ही उन्हें रकम लौटाई जाए। सहारा की ओर से किए जा रहे ज्यादातर निवेशकों को रकम लौटा देने के दावे को लेकर अदालत ने कहा कि सेबी केवल 31 अगस्त 2012 से पहले लौटाई गई रकम का दावा ही स्वीकार करे। साथ ही निवेशकों की वैधता जांचने के लिए सेबी सहारा की मदद ले।
अदालत ने कहा कि 31 अगस्त के आदेश के बाद सहारा की ओर से निवेशकों को सीधे रकम लौटाने के दावे को सही नहीं माना जा सकता। सहारा के वकील राम जेठमलानी ने अदालत में कहा कि जिन निवेशकों ने 31 अगस्त के आदेश से पहले अपनी रकम मांगी थी उन्हें यह रकम वापस करना जरूरी था। दस्तावेज तलाशने में हुई देरी के चलते उन्हें यह रकम 31 अगस्त के बाद लौटाई गई। इस पर न्यायाधीश ने कहा कि आप ऐसा नहीं कर सकते।
जेठमलानी ने कहा कि उस समय निवेशकों में घबराहट थी। इस पर सेबी के वकील ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं था। सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉरपोरेशन (एसआइआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (एसएचआइसीएल) द्वारा निवेशकों से जुटाई गई 24,000 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटाए जाने हैं। अदालत ने समूह को दोनों कंपनियों की संपत्तियों के दस्तावेज जमा करने को कहा है। सेबी ने 13 फरवरी को इन दोनों कंपनियों की संपत्तियां और बैंक खाते जब्त करने का आदेश जारी किया था।