अमृतसर। श्री अकाल तख्त साहिब के साथ सटे नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी के चरण स्पर्श प्राप्त गुरुद्वारा थड़ा साहिब की कारसेवा खालसायी परंपरा व मर्यादा के साथ शुरू हो गई। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिह, श्री हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी मल सिंह, एसजीपीसी के अध्यक्ष जत्थेदार अवतार ंिसह मक्कड़, बाबा बचन सिंह कारसेवा वाले, बाबा हरनाम सिंह खालसा कारसेवा वालों ने टक लगाकर कारसेवा का शुभारंभ किया। बाबा अवतार सिंह बिधि चंद संप्रदाय, बाबा सेवा सिंह कारसेवा खडूर साहिब, भाई जसबीर ंिसह खालसा पूर्व जत्थेदार अकाल तख्त साहिब, भाई राजिंदर सिंह, बाबा धर्म सिंह ने पांच बाल्टियों की सेवा कर इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे की कारसेवा में पहला योगदान डाला। एसजीपीसी ने बाबा हरनाम सिंह खालसा को इस गुरुद्वारे की कारसेवा सौंपी है।
इस अवसर पर जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि नौंवे गुरु श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जब गोइंदवाल साहिब से श्री हरिमंदिर साहिब के दर्शनों के लिए पहुंचे। गुरु जी ने पवित्र सरोवर में स्नान करने के बाद दर्शनी डयोढ़ी से श्री हरिमंदिर साहिब प्रवेश करने लगे तो तत्कालीन पुजारियों व मसंदों ने श्री हरिमंदिर साहिब दर्शनी डयोढ़ी के दरवाजों को बंद कर दिया था। गुरु तेग बहादुर साहिब ने बाहर से ही माथा टेका। परिक्रमा से बाहर श्री अकाल तख्त साहिब के पास स्थित बेरी के नीचे बैठ गए। इस स्थान पर सुंदर गुरुद्वारा श्री थड़ा साहिब का निर्माण किया गया था।
उन्होंने कारसेवा करने वाले संगतों से आग्रह किया कि इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे की प्राचीन परंपरा व ऐतिहासिक बेरी को स्थापित रखा जाए। एसजीपीसी के अध्यक्ष जत्थेदार अवतार सिहं मक्कड़ ने कहा कि नौवें गुरु के चरण स्पर्श इस गुरुद्वारे पर संगत की अथाह श्रद्धा है। कारसेवा जल्दी मुकम्मल की जाए। गुरुद्वारा बीड़ बाबा बुढ्डा साहिब व गुरुद्वारा साहिब समाध बाबा बुढ्डा साहिब के महान स्थानों के रास्ते में कारसेवा के संतों द्वारा इतिहास को तोड़ मरोड़कर पेश किया है। यह ठीक नहीं है। कारसेवा के संतों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि सेवा के नाम पर निजी जायदाद नहीं बनाई जानी चाहिए। संगत का पैसा जिस स्थान की सेवा के लिए आए, उसी स्थान पर वह खर्च किया जाना चाहिए।
गुरुद्वारे की कारसेवा के लिए पहले दिन ही संगत द्वारा 66 लाख 80 हजार रुपये की राशि भेंट कर दी गई। इसमें जसपाल सिंह ढेसी परिवार ने 11 लाख, संत बाबा अजीत सिंह हंसाली वालों द्वारा 13 लाख, माता राजिंदर कौर लाबड़ा द्वारा 11 लाख, संत बाबा सेवा सिंह रामपुर द्वारा 2.25 लाख की राशि प्रमुखता से दी गई। इससे पूर्व श्री हरिमंदिर साहिब के हजूरी रागी भाई बलबीर सिंह ने कीर्तन कर संगत को निहाल किया। श्री हरिमंदिर साहिब के एडीशनल मुख्य ग्रंथी जगतार ंिसह ने अरदास की। जयकारों की गूंज में कारसेवा आरंभ की गई।