वाशिंगटन: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोर होती स्थिति के संबंध में एक सवाल का जवाब देते हुए रविवार को कहा कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा है, बल्कि डॉलर मजूबत हो रहा है.
भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद को मजबूत बताते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती के बावजूद भारतीय रुपये में स्थिरता बनी हुई है.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में भारत में मुद्रास्फीति कम है और मौजूदा स्तर पर उससे निपटा जा सकता है.
अपने आधिकारिक अमेरिकी दौरे पर सीतारमण ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद अच्छी है, व्यापक आर्थिक बुनियाद भी अच्छी है. विदेशी मुद्रा भंडार अच्छा है. मैं बार-बार कह रही हूं कि मुद्रास्फीति भी इस स्तर पर है जहां उससे निपटना संभव है.’
उन्होंने कहा कि वह चाहती हैं कि मुद्रास्फीति छह फीसदी से नीचे आ जाए, इसके लिए सरकार भी प्रयास कर रही है.
सीतारमण ने दहाई अंक की मुद्रास्फीति वाले तुर्की जैसे कई देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि दूसरे देश बाहरी कारकों से बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘बाकी की दुनिया की तुलना में अपनी स्थिति को लेकर हमें सजग रहना होगा. मैं वित्तीय घाटे को लेकर पूरी तरह से सतर्क हूं.’
रुपये की फिसलन से जुड़े एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा कि डॉलर की मजबूती की वजह से ऐसा हो रहा है. उन्होंने कहा, ‘मजबूत होते डॉलर के सामने अन्य मुद्राओं का प्रदर्शन भी खराब रहा है लेकिन मेरा खयाल है कि अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में भारतीय रुपया ने बेहतर प्रदर्शन किया है.’
वित्तमंत्री सीतारमण से पूछा गया था कि आगे रुपया जिन चुनौतियों का सामने करने वाला है, उसको लेकर आपका आकलन क्या है और इस गिरावट से निपटने के लिए क्या उपाय अपनाए जा रहे हैं. इस पर उन्होंने कहा, ‘पहली बात तो मैं इसे इस तरह नहीं देखती कि रुपया गिर रहा है, मैं इसे ऐसे देखती हूं कि डॉलर मजबूत हो रहा है. डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है. इसलिए तय है कि मजबूत होते डॉलर के सामने बाकी सभी करेंसी कमजोर प्रदर्शन करेंगी.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं तकनीकी पक्षों पर बात नहीं कर रही, लेकिन यह तथ्य है कि भारतीय रुपया डॉलर के सामने टिका रहा है. विनिमय दर डॉलर के पक्ष में है. मुझे लगता है कि भारतीय रुपये ने बाजार की अन्य उभरती मुद्राओं के मुकाबले बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है.’
समाचार एजेंसी एएनआई के सवाल के जवाब में उन्होंने आगे कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक के प्रयास यह देखने की ओर अधिक हैं कि बहुत ज्यादा अस्थिरता न हो, यह रुपये की कीमत को ठीक करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘आरबीआई का काम सिर्फ अस्थिरता को नियंत्रित करना है और मैं यह पहले भी कह चुकी हूं कि रुपया अपना स्तर खुद पा लेगा.’
वित्त मंत्री ने बढ़ते व्यापार घाटे के मुद्दे पर कहा, ‘इसका मतलब है कि हम निर्यात की तुलना में ज्यादा आयात कर रहे हैं. हम यह भी देख रहे हैं कि यह अनुपातहीन वृद्धि क्या किसी एक देश के मामले में हो रही है.’
उनका इशारा असल में चीन के लिहाज से व्यापार घाटा बढ़कर 87 अरब डॉलर होने की ओर था.
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 2021-22 में बढ़ गया था और यह अंतर 2022-23 में भी बढ़ना जारी रहा. 2021-22 में व्यापार घाटा 72.9 अरब डॉलर था जो इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 29 अरब अधिक है. 2020-21 में व्यापार घाटा 48.6 अरब डॉलर था.