मुरादाबाद। उपवास और व्रत सिर्फ ईश्वर को खुश करने का रास्ता ही नहीं बल्कि शरीर को फिट करने का माध्यम भी है।
कम खाना और संतुलित आहार हर रूप में स्वस्थ्य शरीर के लिए जरूरी बताया गया है। उपवास के आहार की चर्चा ही फलाहार से शुरू होती है। अगर व्रतधारी वास्तव में फलाहार करें तो शारीरिक सुधार के साथ मानसिक शांति भी मिलती है। मशहूर फिजिशियन डा.पीके शुक्ला कहते हैं कि दिक्कत व्रत आहार के नाम पर कूटू को ज्यादा सेवन करने से आती है। यदि व्रतधारी उपवास की दिनचर्या में सिर्फ मौसमी फलों व हरी सब्जियों को ही मुख्य आहार बनाएं तो अनाज रहित ये नौ दिन शारीरिक विकास व सुधार के लिए काफी लाभप्रद साबित हो सकते हैं। सामान्य दिनों के खाद्य व पेय पदाथरें में शामिल कई वस्तुएं शरीर में आक्सीडेंट और टॉक्सीन को बढ़ावा देती हैं। ऐसे में नौ दिन फलों व हरी सब्जियों का सेवन एंडी आक्सीडेंट थेरेपी जैसी भूमिका अदा कर सकता है। जरूरी यह है कि मधुमेह और हृदयरोगी बिना डाक्टरी राय के उपवास या उससे जुड़े खानपान का निर्णय न लें।
मनोरोग विशेषज्ञ डा.अखिल चंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि पूजन के दौरान ध्यान की अवस्था मन को स्थिर करने और अनावश्यक तनाव से बचाने का तरीका बन सकती है। मन को कुछ समय एकार्ग्र करके विचारों की उथल-पुथल से पैदा होने वाली समस्याओं से निजात दिलाई जा सकती है। एकार्ग्र ध्यान के साथ की जाने वाली उपासना ही मेडिटेशन है।