आधुनिक तकनीक और कौशल उन्नयन की कार्ययोजना, छोटे कारीगरों के उत्पादों की बिक्री के लिये ग्रामीण हाट – मुख्यमंत्री श्री चौहान
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि परम्परागत कारीगरों का व्यवसाय छिनने नहीं दिया जायेगा। कारीगरों का जीवन स्तर सुधरे और उन्हें सम्मान के साथ रोजगार के अवसर मिले इसके हर-संभव प्रयास किये जायेंगे। प्रदेश के सभी कारीगरों का अभियान चलाकर पंजीयन किया जायेगा। कारीगरों को आधुनिक तकनीक का लाभ मिले और उनका कौशल उन्नयन हो इसके लिये कार्ययोजना बनाई जायेगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान की घोषणायें
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श्री चौहान आज यहाँ मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित कारीगर पंचायत को संबोधित कर रहे थे। समाज के विभिन्न वर्गों से सीधे संवाद के लिये पंचायतों की श्रंखला में आयोजित इस पंचायत में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कारीगरों के लिये अनेक सौगातों की घोषणा की। वाणिज्य, उद्योग एवं ग्रामोद्योग मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव विशेष रूप से उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पहले गाँव सम्पूर्ण इकाई थे, उनमें रहने वाले कारीगरों को गाँव में ही काम मिलता था। परम्परागत रूप से कला एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिलती थी। समय के साथ विकास का मूल्य कारीगरों ने चुकाया और उनके रोजगार पर बड़े उद्यमियों का कब्जा होने लगा। मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों का उल्लेख करते हुये कहा कि मॉस प्रोडक्शन की बजाय प्रोडक्शन बाई मॉस होना चाहिये। उन्होंने कहा कि कारीगरों की समस्याओं के लिये पूरे देश में आवाज उठाई जायेगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कारीगरों के हितों के लिये घोषणाएँ करते हुये कहा कि सभी कारीगरों का पंजीयन अभियान चलाकर किया जायेगा। पंजीयत कारीगरों को प्रसूति सहायता, विवाह सहायता, चिकित्सा सहायता, छात्रवृत्ति, आकस्मिक मृत्यु पर सहायता योजनाओं का लाभ दिया जायेगा। कारीगरों को आधुनिक तकनीक का लाभ मिले और कौशल उन्नयन हो इसके लिये योजना बनाई जायेगी। कारीगरों को कच्चा माल आसानी से मिले तथा रोजगार के लिये पूँजी उपलब्ध हो इसके प्रबंध किये जायेंगे। ग्रामीण हाट में कारीगरों के लिये दुकानें आरक्षित की जायेंगी। श्री चौहान ने कहा कि छोटे कारीगरों को दस हजार रूपये तक की प्रारंभिक पूँजी में पाँच हजार रूपये का अनुदान तथा पाँच हजार रूपये ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। दस हजार से पाँच लाख रूपये तक के ऋण में 25 हजार रूपये का अनुदान और शेष ऋण रहेगा, साथ ही पाँच वर्ष तक पाँच प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जायेगा। खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड की प्रचलित योजनाओं में भी पाँच वर्ष तक पाँच प्रतिशत ब्याज अनुदान की सुविधा रहेगी। मुख्यमंत्री कारीगर स्व-रोजगार योजना में कारीगरों को उपकरण उपलब्ध कराये जायेंगे। कारीगरों को अपने उत्पादों के लिये बाजार उपलब्ध हो इसे ध्यान में रखते हुये शिल्प मेलों, प्रदर्शनियों में दुकानें उपलब्ध कराई जायेंगी। कारीगरों के उत्पादों के लिये मार्केटिंग की विस्तृत नीति बनाई जायेगी। देश की बड़ी शिल्प संस्थाओं में प्रदेश के कारीगरों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जायेगा। पंजीकृत कारीगरों को पाँच हजार रूपये की प्रसूति सहायता, बेटी के विवाह के लिये 15 हजार रूपये की सहायता, पहली से स्नातकोत्तर तक 500 से 5 हजार रूपये तक की छात्रवृत्ति, प्रतिभाशाली बच्चों के लिये 500 से 5 हजार रूपये तक के पुरस्कार, चिकित्सा सहायता में तीन लाख रूपये तक की आर्थिक सहायता, आकस्मिक मृत्यु होने पर एक लाख रूपये, सामान्य मृत्यु होने पर 25 हजार रूपये की तथा अपंगता पर 75 हजार रूपये तक की सहायता दी जायेगी। कारीगरों के बच्चों को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पर दस हजार रूपये की तथा इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश पर सात हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। बारहवीं कक्षा में प्रावीण्य सूची में कारीगरों के प्रथम 500 बच्चों को 25 हजार रूपये की सहायता दी जायेगी। संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने पर 25 हजार रूपये तथा मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण होने पर 50 हजार रूपये की सहायता दी जायेी। शहरों में रोजगार के लिये आने वाले कारीगरों के लिये शेल्टर होम बनाये जायेंगे। अगरिया समुदाय के ज्ञान का पेटेंट कराया जायेगा और उन्हें लौह-अयस्क खनन की वैधानिक अनुमति दिलाने की कोशिश की जायेगी। कारीगर क्रेडिट योजना के संबंध में विचार किया जायेगा। घुमक्कड़ और अर्धघुमक्कड़ समुदाय के लिये अलग से पंचायत आयोजित की जायेगी।
ग्रामोद्योग मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मध्यप्रदेश पहला राज्य है जिसने सभी वर्गों के साथ संवाद कर समस्याएँं सुलझाने की शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक समुदाय को उसके अधिकार दिलाने की पहल की गई है। संवाद के माध्यम से समाधान निकालने के लिये अमीर-गरीब सबको आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कारीगर समाज के विकास के लिये पारंपरिक शिल्प को बढ़ावा देने की जरूरत बताई।
खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष श्री सत्यनारायण सत्तन ने कहा कि पहली बार कारीगरों की सुध लेने की कोशिश हुई है। मुख्यमंत्री ने कारीगरों और उनकी कला का सम्मान करते हुए पंचायत बुलाई है।
प्रमुख सचिव ग्रामोद्योग श्रीमती शिखा दुबे ने बताया कि पंचायत में लगभग तीन हजार कारीगर उपस्थित हुए हैं। पंचायत में डिडोंरी जिले से पत्थर से लोहा बनाने वाले अगरिया समुदाय के 65 कारीगरों ने विशेष रूप से भागीदारी की।
खुलकर रखी अपनी बात
ताँबा, पीतल, लोहा, काष्ठ के शिल्प बनाने वाले कारीगरों ने अपनी समस्याएँ रखीं और समाधान सुझाये। होशंगाबाद की श्रीमती ममता सिलावट ने कहा कि लकड़ी मिलने में परेशानी होती है। श्रीमती नीरजा विश्वकर्मा ने कहा कि लकड़ी रियायती दर पर मिलना चाहिए। नये औजार खरीदने के लिये सहायता मिलना चाहिए। बच्चों को शिक्षा की सुविधाएं मिलना चाहिये। श्री हरीश शर्मा ने कहा कि नगर निगम जो शॉपिंग कॉम्पलेक्स बनाता है वहां कारीगरों के लिये भी दुकान आरक्षित होना चाहिए। अगरिया समाज के श्री तोक सिंह ने कहा कि पत्थर और कोयले के अभाव में लोहा बनाने की कला पर ही संकट आ गया है। घुमक्कड़ जनजाति की सुमन देवी ने सुझाव दिया कि कारीगरों को एक जगह ठिकाना दें तो पूरे परिवार के लिये अच्छा होगा। बुजुर्ग हो चले कारीगरों को विशेष सुविधाएँ देने पर भी विचार होना चाहिये। श्री राजेन्द्र ताम्रकार ने कहा कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में कारीगरों के हाथ के बने पाँच बर्तन देने की शुरूआत की जा सकती है। इससे यह परंपरा बनी रहेगी। श्री गोविंदलाल लोहार ने सुझाव दिया कि कारीगरों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर लोन मिलना चाहिए। सरकार को लोन की गारंटी भी लेना चाहिए। इंदौर के आशीष, अरूण ताम्रकार, सागर की नेहा विश्वकर्मा, अब्दुल जब्बार ने भी सुझाव दिये।
मुख्यमंत्री ने कारीगरों का सम्मान किया। सम्मानित होने वाले कारीगरों में श्री वेदप्रकाश यादव, श्री सरदार सिंह लोहार, श्री तोक सिंह, श्री मांगीलाल विश्वकर्मा, भोपाल स्थित राजा भोज की मूर्ति के शिल्पी श्री प्रभात राय दम्पत्ति, श्री अब्दुल खालिद, ममता सिलावट, शारदा शर्मा, श्री भैयालाल ताम्रकार, श्री ओमप्रकाश लोहार शामिल थे। कार्यक्रम में विधायक श्री हरि सिंह सप्रे, श्री ज्ञान सिंह उपस्थित थे।