बड़ी और मझौली सिंचाई परियोजनाओं की रूपांकित क्षमता से अधिक सिंचाई कर मध्यप्रदेश राज्य ने देश में नया कीर्तिमान बनाया है। इस वर्ष 4 सिंचाई परियोजना, जिनकी रूपांकित सिंचाई क्षमता 6 लाख 55 हजार 539 हेक्टेयर थी, के जरिये 8 लाख 45 हजार 564 हेक्टेयर में सिंचाई की जा चुकी है। चम्बल परियोजना से 2 लाख 85 हजार हेक्टेयर में, तवा परियोजना में 2 लाख 43 हजार, राजघाट परियोजना से 1 लाख 76 हजार एवं बाण सागर परियोजना से एक लाख 41 लाख 564 हेक्टेयर में सिंचाई करवाई जा चुकी है।
प्रमुख सचिव, जल संसाधन श्री राधेश्याम जुलानिया ने बताया है कि प्रदेश में निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाएँ प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण करवाई जा रही है। पिछले चार वर्ष में 1170 लघु सिंचाई परियोजनाएँ पूरी करवाई गई हैं। इनमें से 241 बीते एक साल में ही पूर्ण की गई हैं। प्रदेश में वर्तमान में 663 लघु सिंचाई परियोजना निर्माणाधीन हैं। इनमें से 150 इसी वर्ष ग्रीष्म ऋतु में पूरी करवाई जायेंगी।
प्रदेश में 5 मध्यम परियोजना के जलाशयों में पहली बार जल भराव किया गया है। इसी के साथ वृहद परियोजनाओं की नहर प्रणाली का कार्य भी समयबद्ध तरीके से करवाया जा रहा है।
राज्य शासन ने कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिये सिंचाई क्षेत्र की वृद्धि के उद्देश्य से वर्ष 2010 में चार साल में 7 लाख 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता निर्मित करने का संकल्प लिया था। इसके अंतर्गत जल-संसाधन विभाग को 4 लाख 50 हजार का लक्ष्य मिला है। संकल्प की पूर्ति में तीन वर्ष में ही अभी तक लगभग 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता स्थापित करने उपलब्धि विभाग ने हासिल कर ली है।
इसी तरह रबी सिंचाई में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। शासकीय स्त्रोतों से जहाँ 2010-11 की अवधि तक 9 लाख 73 हजार हेक्टेयर में सिंचाई हुई, वहीं गत वर्ष 16 लाख 34 हजार 891 हेक्टेयर में रबी सिंचाई की गई। इस वर्ष यह लक्ष्य 20 लाख 02 हजार हेक्टेयर का रखा गया है। अभी तक 20 लाख 16 हजार 280 हेक्टेयर में सिंचाई करवाई जा चुकी है।