मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तवर्ष 2013−14 के लिए मौद्रिक नीति का ऐलान करते हुए रेपो रेट में 25 बेसिस अंकों, यानि 0.25 फीसदी की कटौती की है, लेकिन नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कोई कमी नहीं की गई है। इसे राहत का संकेत माना जा रहा है, क्योंकि रेपो रेट में कटौती की वजह से बाजार में पैसे की सप्लाई बढ़ जाती है। एक लंबे समय से बाजार ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद लगाए हुए था, लिहाजा उद्योग जगत के लिए यह अच्छी खबर है।
अब रेपो दर, जिस पर वाणिज्यिक बैंक सीमित अवधि के लिए रिजर्व बैंक से ऋण लेते हैं, 7.50 प्रतिशत से घटाकर 7.25 प्रतिशत हो गई है, जिसके कारण रिवर्स रेपो दर, जिस पर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों से सीमित अवधि के लिए उधारी लेता है, 6.50 प्रतिशत से घटकर स्वत: 6.25 प्रतिशत हो गई है। हालांकि सीआरआर चार प्रतिशत पर बरकरार रखी गई है।
इससे पहले, रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट में कहा गया था कि चालू वित्तवर्ष के दौरान औसत महंगाई दर 6.5 फीसदी के आसपास रह सकती है और विकास दर छह फीसदी के आसपास रहेगी। पिछले वित्तवर्ष में औसत महंगाई दर 7.3 फीसदी करीब रही थी।
रिजर्व बैंक ने 2013-14 की सालाना मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले वृहद आर्थिक एवं मौद्रिक घटनाक्रम रिपोर्ट जारी कर कहा कि मांग पक्ष की मुद्रास्फीति का दबाव कम हुआ है, लेकिन उपभोक्ता मूल्य आधारित महंगाई की दर तथा सीएडी अभी टिकाऊ स्तर से कहीं ऊपर हैं, ऐसे में मौद्रिक नीति के जरिये वृद्धि को समर्थन देने का विकल्प सीमित है।
रिजर्व बैंक ने हालांकि माना कि हाल के समय में सोने और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से राहत मिली है, लेकिन इस क्षणिक अस्थायी राहत से निश्चिंत हो जाना, एक प्रकार से सच्चाई से मुंह मोड़ना होगा। महंगाई के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि इसमें गिरावट का रुख पहली छमाही में जारी रहेगा। वहीं ऊर्जा कीमतों में बढ़ोतरी तथा आधार प्रभाव की वजह से दूसरी छमाही में महंगाई बढ़ेगी।