राधा और कृष्ण यूं तो जन्म जन्मांतर के प्रेमी हैं। पुराणों के अनुसार गोलोक में दोनों साथ-साथ रहते हैं। लेकिन कृष्ण ने जब मथुरा में अवतार लिया तो राधा का जन्म बरसाना में हुआ।
कंश के कोप से बचाने के लिए कृष्ण के पिता ने उन्हें नंद गांव पहंचा दिया जहां से महज बरसाना गांव महज चार मील की दूरी पर था। जब राधा और कृष्ण कुछ बड़े हुए तो एक दिन बरसाना और नंद गांव के बीच में एक स्थान पर दोनों पहुंचे।
यहां पहली बार अवतार लेने के बाद राधा और कृष्ण का मिलन हो रहा था। एक दूसरे को देखने के बाद दोनों में सहज ही एक दूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ गया। यहीं से राधा कृष्ण के प्रेम लीला की शुरूआत हुई।
माना जाता है कि अवतार लेने से पहले ही राधा कृष्ण ने इस स्थान पर मिलने की योजना बनाई थी। इसलिए इस स्थान को ‘संकेत’ नाम से जाना जाता है।
यहां हर साल राधा के जन्मदिन यानी राधाष्टमी से लेकर अनंत चतुर्दशी के दिन तक मेला लगता है। इन दिनों लाडली के मंदिर में दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्घालु आते हैं और राधा कृष्ण के प्रथम स्थल पर आकर इनके शाश्वत प्रेम को याद करते हैं।