मुंबई।। भारत में डिपॉज़िटरों को हर साल करीब 2,500 करोड़ रुपए का चूना लग रहा है, क्योंकि हमारे बैंक जमा पूंजी पर हर महीने के बजाय क्वॉर्टरली ब्याज दे रहे हैं। आईआईटी मुंबई की एक रिपोर्ट की मानें तो बैंकों आपकी जमा पूंजी और आपके लोन पर ब्याज कैलकुलेट करने के तरीके में भेदभाव कर रहे हैं और इसी वजह से डिपॉज़िटरों को यह नुकसान हो रहा है।
गौर करने वाली बात यह है कि बैंक डिपॉज़िट पर तो क्वॉर्टरली ब्याज दे रहे हैं, मगर लोन पर मंथली ब्याज वसूल रहे हैं। बैंकों के इस भेदभाद को समझने के लिए आपको साल के अंत में एक लाख के एजुकेशन लोन पर लगने वाले ब्याज और एक साल में फिक्सड डिपॉज़िट पर मिलने वाले ब्याज को कम्पेअर करना होगा। मान लीजिए कि इन दोनों की ब्याज दरें 10 फीसदी हैं। इसे कैलकुलेट करें तो आप देखेंगे कि एफडी पर आपको लगभग 10,381 रुपए ब्याज मिले जबकि लोन पर आपको 10,471 रुपए ब्याज देने पड़े। इस तरह की तुलना सिर्फ एजुकेशन लोन के मामले में की जा सकती है, जहां पहले साल को री-पेमेंट नहीं होती।
इस हफ्ते आई आईआईटी मुंबई के मैथमेटिक्स डिपार्टमेंट के आशीष दास की इस रिपोर्ट ‘Interest of bank depositors in chaos’ पर आरबीआई की तरफ से गंभीरता से विचार किए जाने की संभावना है। आरबीआई खुद भी पहले इस मामले को उठा चुका है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर बैंकों को महीने के आखिर में ब्याज का तरीका लागू करने को कहा जाए, तो डिपॉज़िटरों को एक लाख रुपए की एफडी पर लगभग 90 रुपए अधिक मिलेंगे।