नई दिल्ली : कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन द्वारा ‘पत्रकारिता की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की मांग’ करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले ही प्रेस कॉउंसिल ऑफ़ इंडिया ने अपने पुराने फैसले को बदल लिया है. पहले प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया(पीसीआई) ने मीडिया पर शिकंजा कसने की बात कही थी. पीसीआई के सचिव अनुपमा भटनागर ने एक चिट्ठी जारी कर कहा कि काउंसिल प्रेस की स्वतंत्रता के साथ खड़ी है और बुधवार को होने वाली सुनवाई में काउंसिल कश्मीर टाइम्स के साथ खड़ा है.
प्रेस काउंसिल के सदस्यों ने बताया कि काउंसिल के चैयरमेन का फैसला आम सहमति से नहीं लिया गया था.
कश्मीर टाइम्स की एक्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन ने राज्य में मीडिया पर लगी पाबंदी हटाने के लिए 10 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. लेकिन प्रेस काउंसिल के चेयरमैन जस्टिस (रिटायर्ड) सीके प्रसाद ने इस मामले में हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर दिया था.
इस मामले में एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया का कहना है कि प्रेस कॉउंसिल ऑफ़ इंडिया प्रेस की स्वतंत्रता पर बोलने में विफल रही है और ’राष्ट्रीय हित के नाम पर मीडिया पर शिकंजा कसने के लिए व्यापक रूप से बहस कर रही है.’
गिल्ड ने अपने बयान में कहा है कि, ‘प्रेस काउंसिल का गठन प्रेस की आजादी की रक्षा के लिए किया गया है, लेकिन यह न सिर्फ इसके पक्ष में बोलने में विफल रहा है, बल्कि देशहित के नाम पर मीडिया पर अंकुश का एक तरह से समर्थन कर रहा है. यह ऐसे समय में हो रहा है जब रिपोर्टरों को उनका काम करने पर निशाना साधा जा रहा है.
गिल्ड का यह भी मानना है कि आज़ाद मीडिया ही सबसे अच्छा फीडबैक देता है. यह आम लोगों की निराशा और आलोचना के लिए सेफ्टी वाल्व का काम करता है. इस तरह आज़ाद मीडिया ही देशहित में है. गिल्ड ने प्रेस काउंसिल से जम्मू-कश्मीर में मीडिया पर अंकुश खत्म करने में सहयोग देने का भी आग्रह किया है.
द प्रिंट से साभार