लाहौर / इस्लामाबाद: पाकिस्तान की 14वीं संसद के लिए आज वोट डाले जा रहे हैं। पाकिस्तान का यह चुनाव इस मामले में ऐतिहासिक है कि पहली बार चुनाव के जरिये एक चुनी हुई सरकार दूसरी चुनी गई सरकार को सत्ता सौंपेगी।
पाकिस्तान की संसद की दो अहम हिस्से हैं – नेशनल असेंबली और सीनेट। पाकिस्तान संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में कुल 342 सीटें होती हैं, लेकिन यहां के संविधान के मुताबिक 272 सीटों पर ही प्रत्यक्ष चुनाव होता है और 60 सीटें महिलाओं और 10 सीटें अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित होती हैं।
चुनाव से मिली सीटों के मुकाबले ही विभिन्न दलों को ये 70 आरक्षित सीटें दी जाती हैं। सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी या गठबंधन को कम से कम 172 सीटें हासिल करना जरूरी है। इसके अलावा यहां के चार प्रांतों के लिए भी मतदान हो रहा है। पाकिस्तान के चुनाव नतीजे काफी कुछ पंजाब प्रांत पर निर्भर करेंगे, जहां 272 सीटों की आधी से ज्यादा 147 सीटें हैं। पंजाब में नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल नवाज की पकड़ मजबूत है।
राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और भुट्टो परिवार की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) तथा क्रिकेट के मैदान से सियासत में आए इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ भी इस चुनाव में पूरी ताकत लगा रही है। हाल ही चुनाव सभा के दौरान गिरने से घायल हुए इमरान ने अस्पताल से लोगों को उनकी पार्टी के लिए मतदान करने की अपील की है। इन प्रमुख दलों के अलावा पीएमएल-क्यू, जमात-ए-इस्लामी और अवामी नेशनल पार्टी सरीखे दल भी अपनी ताकत को मजबूत करने के प्रयास में हैं।
इस बार नेशनल असेंबली के लिए 4,670 उम्मीदवार मैदान में हैं, तो चार प्रांतों की असेंबलियों के चुनाव में करीब 11,000 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने एक भी चुनावी सभा को संबोधित नहीं किया। वह सिर्फ वीडियो संदेश के जरिये प्रचार कर रहे थे।
पाकस्तानी तालिबान ने चुनाव के दौरान हमलों की धमकी दी है। तालिबान लगातार पाकिस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से होने वाले चुनावों का विरोध करता रहा है। तहरीक−ए−तालिबान के मुखिया हकीमुल्लाह महसूद ने 1 मई को धमकी भरा ख़त लिखकर हमले की बात कही थी। इस खत में हकीमुल्लाह ने अपने कमांडरों को निर्देश दिया था कि 11 मई यानी पाकिस्तान के चुनाव के दिन देश के अलग-अलग इलाकों में हमले की तैयारी करें। इस ख़त में फिदायीन यानी आत्मघाती हमलावरों के जरिये भी हमले की बात लिखी हुई थी। चुनाव प्रचार के दौरान भी तालिबान ने सेक्युलर पार्टियों के उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया था।
पाकिस्तान में पिछला आम चुनाव 18 फरवरी, 2008 को हुआ था। उस समय पीपीपी को 35.3 फीसदी मत के साथ 121 सीटें मिली थीं। दिसंबर, 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद सहानुभूति के माहौल में पार्टी ने जीत दर्ज की थी और उसके नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनी। पिछली बार पीएमएल-एन को 91 सीटें और 26.6 फीसदी मत मिले थे। इमरान की पार्टी ने पिछले चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था।
इस बार भ्रष्टाचार, आतंकवाद और जातीय हिंसा कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जो पीपीपी की राह में रोड़ा बन सकते हैं। वैसे इस बार के चुनावों से कश्मीर मुद्दा नदारद है। इन चुनावों में इमरान खान की पार्टी भी लोगों के बीच खासी लोकप्रिय नजर आ रही है और माना जा रहा है कि वह पीपीपी और पीएमएल-एन को कड़ी टक्कर देगी। चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में भी तहरीक-ए-इंसाफ की ताकत में बेतहाशा बढ़ोतरी बताई जा रही है।