Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 साँची स्तूप तक पहुँचने वाले राजनेता सत्ता से हो जाते हैं बाहर,क्या शिवराज सिंह इस मिथक को तोड़ेंगे? या वे भी पहुंचेंगे इस अंजाम तक? | dharmpath.com

Friday , 22 November 2024

Home » राज्य का पन्ना » साँची स्तूप तक पहुँचने वाले राजनेता सत्ता से हो जाते हैं बाहर,क्या शिवराज सिंह इस मिथक को तोड़ेंगे? या वे भी पहुंचेंगे इस अंजाम तक?

साँची स्तूप तक पहुँचने वाले राजनेता सत्ता से हो जाते हैं बाहर,क्या शिवराज सिंह इस मिथक को तोड़ेंगे? या वे भी पहुंचेंगे इस अंजाम तक?

September 8, 2023 6:56 pm by: Category: राज्य का पन्ना Comments Off on साँची स्तूप तक पहुँचने वाले राजनेता सत्ता से हो जाते हैं बाहर,क्या शिवराज सिंह इस मिथक को तोड़ेंगे? या वे भी पहुंचेंगे इस अंजाम तक? A+ / A-

साँची के स्थानीय लोगों का मानना है एवं इतिहास गवाह है जब भी कोई मुख्यमंत्री सांची स्तूप पर पहुंचता है तो उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ता है. दिग्विजय सिंह, बाबूलाल गौर और उमा भारती ने यहां पहुंचने के बाद सत्ता गंवा दी थी. CM शिवराज सिंह चौहान के साथ भी यह मिथक जुड़ चुका है, लेकिन उन्होंने फिर भी सांची स्तूप का दौरा हाल ही में किया है.शिवराज सिंह ने कई मिथक तोड़े हैं एवं लगातार 20 वर्षों से मुख्यमंत्री पद का निर्वहन कर रहे हैं,लेकिन इस दफे जनता में जो बयार बह रही है उसके चलते अब खुसुर-फुसुर शुरू हो गयी है की क्या मुख्यमंत्री शिवराज इस मिथक को तोड़ पाते हैं या प्रकृति का नियम उन पर लागू होगा ,खैर यह तो चुनाव परिणाम ही बताएँगे लेकिन तब तक चर्चा के लिए बहुत कुछ मिल गया है.

भोपाल:ऐसी मान्यता है जब-जब कोई मुख्यमंत्री सांची स्तूप पहाड़ी पर पहुंचा तो उसकी सत्ता चली गई. यह सिलसिला दिग्विजय सिंह के दौर से शुरु हुआ था, दरअसल तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए सांची पहुंचे थे, उसके बाद उनके हाथों से सत्ता हमेशा के लिए चली गई. मुख्यमंत्री बाबू लाल गौर भी अपने कार्यकाल के दौरान एक कार्यक्रम के लिए सांची पहुंचे थे, चंद दिनों बाद उनकी भी सत्ता चली गई. उमा भारती को भी सांची पहाड़ी जाने के बाद सत्ता से हाथ धोना पड़ा था. पिछली बार सीएम शिवराज सिंह चौहान जब सांची की पहाड़ी पर पहुंचे थे तो उनकी भी सत्ता चली गई थी. एक बार फिर रिस्क लेते हुए मुख्यमंत्री सांची की पहाड़ी पर पहुंचे हैं, उनके इस कदम से सांची में इस बात की चर्चा गर्मा गई है कि क्या इस बार भी सांची की पहाड़ी पर जाने से शिवराज सरकार पर संकट आ जायेगा या CM शिवराज अंधविश्वास को तोड़ देंगे.

पूर्व जनसंपर्क एवं संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने सांची के कई सांस्कृतिक कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, नतीजा उनको भी अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. पूर्व मंत्री रामपाल सिंह हो, सुरेंद्र पटवा हों या फिर अन्य स्थानीय नेता, ये सभी हमेशा स्तूप की पहाड़ी चढ़ने से बचते रहे हैं. डॉक्टर गौरी शंकर शेजवार हों या स्थानीय विधायक प्रभुराम चौधरी दोनों ही सांची की पहाड़ी से परहेज करते हैं. यहां तक कि सांची बौद्ध यूनिवर्सिटी के शिलान्यास कार्यक्रम में भी तमाम नेताओं ने  कार्यक्रम में तो शिरकत की थी लेकिन पहाड़ी पर जाने से परहेज किया था. यहां सांची महोत्सव का आयोजन किया जाता है लेकिन यह कार्यक्रम सांची स्तूप पहाड़ी के नीचे होता है. इस कार्यक्रम में नेता पहुंचते तो हैं लेकिन पहाड़ी पर पहुंचने से बचते हैं.

साँची स्तूप तक पहुँचने वाले राजनेता सत्ता से हो जाते हैं बाहर,क्या शिवराज सिंह इस मिथक को तोड़ेंगे? या वे भी पहुंचेंगे इस अंजाम तक? Reviewed by on . साँची के स्थानीय लोगों का मानना है एवं इतिहास गवाह है जब भी कोई मुख्यमंत्री सांची स्तूप पर पहुंचता है तो उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ता है. दिग्विजय सिंह, बाबूलाल साँची के स्थानीय लोगों का मानना है एवं इतिहास गवाह है जब भी कोई मुख्यमंत्री सांची स्तूप पर पहुंचता है तो उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ता है. दिग्विजय सिंह, बाबूलाल Rating: 0
scroll to top