नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि पीएम केयर्स फंड संविधान या संसदीय कानून के तहत नहीं बनाया गया है, बल्कि इसे एक स्वतंत्र पब्लिक धर्मार्थ ट्रस्ट के तौर पर स्थापित किया गया है.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत एक विस्तृत हलफनामे में केंद्र ने कहा कि सरकार – केंद्र और राज्य सरकारों समेत – का कोष के कामकाज पर कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं है.
हलफनामे में कहा गया है, ‘ट्रस्ट के कामकाज में किसी भी तरह से केंद्र सरकार या किसी भी राज्य सरकार का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई नियंत्रण नहीं है.’
प्रासंगिक तौर पर यह भी कहा गया कि पीएम केयर्स फंड में स्वैच्छिक दान शामिल है और इसे कोई सरकारी सहायता प्राप्त नहीं होती है और यह सरकार के बजटीय स्रोतों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की बैलेंस शीट से मिलने वाले योगदान को स्वीकार नहीं करता है.
इसमें आगे कहा गया कि पीएम केयर्स सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 2(एच)(डी) के अर्थ में पीएम केयर्स एक ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ नहीं है, इसलिए ट्रस्ट पर आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों को लागू नहीं किया जा सकता है.
हलफनामा पीएम केयर्स फंड को ‘सरकारी’ घोषित करने की मांग वाली याचिका के जवाब में दायर किया गया था.
गौरतलब है कि जुलाई 2022 में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए इसके पुराने जवाब पर नाराजगी व्यक्त की थी, जो कि बमुश्किल एक पेज लंबा था. इसके बाद केंद्र सरकार ने अब फिर अपना जवाब पेश किया है.
मंगलवार को याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान पेश हुए और तर्क दिया कि उपराष्ट्रपति जैसे सरकार के उच्च पदाधिकारियों ने राज्यसभा सदस्यों से दान करने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा कि ये सभी उच्च पदाधिकारी बहुत जिम्मेदार लोग हैं और पीएम केयर्स फंड को सरकारी कोष के रूप में पेश किया गया.
सरकार की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड पर केंद्र और राज्य सरकारों का कोई नियंत्रण नहीं है.
सरकार ने आगे कहा कि बोर्ड ऑफ ट्रस्टी में सार्वजनिक पद धारकों की उपस्थिति केवल प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए है और यह सरकारी नियंत्रण या प्रभाव का संकेत नहीं है.
इसके अलावा, केंद्र सरकार ने कहा कि एक सार्वजनिक धर्मार्थ (चैरिटेबल) ट्रस्ट पीएम केयर्स फंड पारदर्शिता के साथ कार्य करता है और इसके फंड का ऑडिट एक चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) द्वारा किया जाता है, जिसकी रिपोर्ट pmcares.gov.in वेबसाइट पर जनता के लिए उपलब्ध है.
हलफनामे में कहा गया है, ‘पीएम केयर्स फंड को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) की तर्ज पर ही प्रशासित किया जाता है, क्योंकि दोनों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं.’
हलफनामे में कहा गया है कि याचिका मान्यताओं पर आधारित है और यह दिखाने में विफल है कि याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से प्रभावित है और इसलिए यह खारिज करने के योग्य है.
बता दें कि वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान के माध्यम से 2021 में दायर याचिका में याचिकाकर्ता सम्यक गंगवाल ने संविधान के अनुच्छेद-12 के तहत पीएम केयर्स फंड को ‘सरकारी फंड’ घोषित करने और इसके समय-समय पर पीएम केयर्स वेबसाइट पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट का खुलासा करने का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया है.