नई दिल्ली। कच्चे तेल की कीमत में लगातार हो रही गिरावट की वजह से तेल कंपनियों को डीजल पर हो रहे घाटे की राशि एक तिहाई रह गई है। इस समय तेल कंपनियों को डीजल पर सिर्फ 3.73 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा है। जनवरी में यह घाटा 11 रुपये प्रति लीटर के करीब था। बहरहाल, घाटे में इस कमी के बावजूद तेल कंपनियां डीजल की कीमत में हर महीने होने वाली 50 पैसे की वृद्धि से ग्राहकों को कोई राहत नहीं देने जा रही हैं।
पेट्रोल की कीमत में दो-तीन दिन के भीतर वृद्धि संभव है। देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के चेयरमैन आरएस बुटोला ने बताया, ‘हाल के दिनों में डॉलर अगर मजबूत नहीं हुआ होता तो हमारा घाटा और भी कम हो गया होता।’ डॉलर मजबूत होने की वजह से ही क्रूड के सस्ता होने के बावजूद तेल कंपनियों को पेट्रोल की कीमत में थोड़ी बहुत वृद्धि करनी पड़ सकती है। बहरहाल, बुटोला ने सबसे ज्यादा राहत डीजल ग्राहकों को दी है। डीजल पर तेल कंपनियों को अभी 3.73 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा है। इस हिसाब से देखा जाए तो डीजल ग्राहकों को अब सिर्फ अगले सात महीने ही कीमत वृद्धि का बोझ उठाना पड़ेगा।
बुटोला ने संकेत दिए कि तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमत में थोड़ी बहुत वृद्धि अगले कुछ दिनों के भीतर कर सकती हैं। पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आइओसी के मुनाफे में 14.5 फीसद की वृद्धि हुई है। यह 12,670.43 करोड़ रुपये से बढ़ कर 14,512.81 करोड़ रुपये हो गया है। इस तिमाही के लिए कंपनी की हानि की भरपाई के लिए सरकार ने भी कोई राशि नहीं दी है। डीजल, रसोई गैस व केरोसिन को घाटे पर बेचने की वजह से तेल कंपनियों को जो घाटा होता है उसका एक बड़े हिस्से की भरपाई सरकार करती है। पूरे वित्त वर्ष के दौरान कंपनी को 5,005.17 करोड रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है। यह इसके पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 26.5 फीसद ज्यादा है।