चीफ जस्टिस एनवी रमना की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी कर कहा कि सरकार को दस दिनों के भीतर इन आरोपों का जवाब देना होगा कि क्या इज़रायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर का जासूसी में इस्तेमाल किया गया या नहीं.
नई दिल्ली– सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग से संबंधित याचिकाओं पर मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया.
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि वह नहीं चाहता कि सरकार ऐसी किसी बात का खुलासा करे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हो.
चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने याचिकाओं पर केंद्र सरकार से जवाब मांगते हुए कहा कि वह दस दिनों के बाद इस मामले को सुनेगी और देखेगी कि इसमें क्या प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए.पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सुप्रीम कोर्ट नहीं चाहता कि सरकार किसी ऐसी चीज का खुलासा करे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता हो.
अदालत ने यह टिप्पणी मेहता की उस दलील के बाद की, जिसमें उन्होंने कहा था कि हलफनामे में सूचना की जानकारी देने से राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा जुड़ा है.केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पेगासस मामले में छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है और यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है.
चीफ जस्टिस एनवी रमना की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी कर कहा कि सरकार को दस दिनों के भीतर इन आरोपों का जवाब देना होगा कि क्या इजरायली कंपनी के स्पायवेयर का जासूसी में इस्तेमाल किया गया या नहीं.
पीठ ने कहा कि जवाब आने के बाद एक समिति के गठन पर विचार किया जाएगा.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह मामला सार्वजनिक बहस का विषय नहीं हो सकता.
उन्होंने पीठ को बताया, ‘ये सॉफ्टवेयर हर देश द्वारा खरीदे जाते हैं और याचिकाकर्ता चाहते हैं कि इसका खुलासा किया जाए कि क्या सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं किया गया. अगर हमने इसकी जानकारी दे दी तो आतंकी एहतियाती कदम उठा सकते हैं. ये राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे हैं और हम अदालत से कुछ भी छिपा नहीं सकते.’
मेहता ने कहा कि विशेषज्ञों की एक समिति के समक्ष इसका ब्योरा पेश किया जा सकता है.
उन्होंने कहा, ‘हम इस जानकारी को विशेषज्ञों की एक समिति के समक्ष बता सकते हैं और यह निष्पक्ष समिति होगी. क्या आप संवैधानिक अदालत के रूप में उम्मीद करेंगे कि ऐसे मुद्दों को अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा और सार्वजनिक बहस के लिए रखा जाए? समिति अपनी रिपोर्ट अदालत के समक्ष रखेगी, लेकिन हम इस मामले को सनसनीखेज कैसे बना सकते हैं?’
बता दें कि इससे पहले सोमवार को केंद्र सरकार ने पेगासस मामले में याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया था. साथ ही सरकार ने कहा था कि वह इजरायल के एनएसओ समूह के पेगासस स्पायवेयर से जुड़े आरोपों के सभी पहलुओं को देखने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी.
एक हलफनामे में सरकार ने कहा था, उपर्युक्त याचिका और संबंधित याचिकाओं के अवलोकन भर से यह स्पष्ट हो जाता है कि वे अटकलों, अनुमानों तथा अन्य अपुष्ट मीडिया खबरों तथा अपूर्ण या अप्रमाणिक सामग्री पर आधारित हैं. यह प्रस्तुत किया जाता है कि यह इस माननीय न्यायालय के रिट क्षेत्राधिकार को लागू करने का आधार नहीं हो सकता है.
अदालत एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की याचिका सहित विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.