नई दिल्ली: रेलवे रिश्वतकांड और कोयला घोटाले की आंच ने केंद्र के दो मंत्रियों को इस्तीफे के लिए मजबूर कर दिया। शुक्रवार रात रेल मंत्री पवन बंसल और कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने पीएम से मिलकर उन्हें अपने-अपने इस्तीफे सौंप दिए।
इससे पहले सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी और दोनों के बीच करीब एक घंटे तक बैठक चली थी। रात में जैसे ही पवन बंसल प्रधानमंत्री के आवास से निकले, बाहर खड़ी मीडिया की भीड़ ने उनके इस्तीफे के बारे में तीर सा सवाल दागा, जिस पर बंसल ने कहा, यस। उधर, कानून मंत्री अश्विनी कुमार अभी अंदर ही थे, लेकिन थोड़ी देर बाद उनके इस्तीफे की खबर भी बाहर आ गई।
इससे पहले, शुक्रवार दिन से ही रेलमंत्री बंसल के इस्तीफे की खबर जोर पकड़ने लगी थी। हालांकि उन्होंने आखिरी दम तक हार नहीं मानी, बकरे की पूजा तक हुई, लेकिन शाम में जब सोनिया गांधी प्रधानमंत्री से मिलने जा पहुंचीं, तो ये संकेत मिलने लगे कि सारे टोटके बेकार गए। पवन बंसल प्रधानमंत्री को इस्तीफा देने सरकारी गाड़ी से आए और उसी से वापस लौट गए, लेकिन फर्क सिर्फ इतना था कि इस्तीफे के बाद कार पर लगी लालबत्ती बंद रही और थोड़ी देर में सरकारी कार भी वापस कर दी, रही बात मंत्रालय की, तो वहां से वह शाम में ही अपना सामान समेट चुके थे।
दरअसल, सोनिया गांधी ने यह साफ कर दिया था कि सरकार की बिगड़ती छवि की कीमत पर ये दोनों मंत्री कतई मंजूर नहीं। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते बंसल के भांजे विजय सिंगला को रेलवे बोर्ड के एक सदस्य की ओर से दी गई कथित रिश्वत की रकम के तौर पर 90 लाख रुपये स्वीकार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। रेलवे बोर्ड के सदस्य को तरक्की का वादा किया गया था। बंसल के इस्तीफे के कुछ ही देर बाद कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले की जांच पर सीबीआई रिपोर्ट में फेरबदल को लेकर हमले का सामना कर रहे कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने भी प्रधानमंत्री से मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंपा।
अपने इस्तीफा पत्र में बंसल ने उल्लेख किया है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनका भांजा विजय सिंगला रेलवे बोर्ड सदस्य महेश कुमार के संपर्क में था, फिर भी उन्होंने इस्तीफा देना उचित समझा। उन्होंने कहा है कि वह आरोपों की तेजी से जांच चाहते हैं। अश्विनी कुमार ने अपने इस्तीफा पत्र में कहा है कि अनावश्यक विवाद और जनता में किसी गलत धारणा को खत्म करने के लिए वह इस्तीफा दे रहे हैं। उनका कहना था कि उच्चतम न्यायालय ने उनके खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है।
कांग्रेस ने पहले पवन बंसल और अश्विनी कुमार के मुद्दे को शांत करने का फैसला किया था, लेकिन अपनी और सरकार की छवि को लगातार नुकसान होता देख पार्टी ने कार्रवाई का फैसला किया। सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने फैसला इसलिए किया, क्योंकि पार्टी में इस बाबत असहजता पैदा हो रही थी कि दोनों मंत्रियों के पद पर बने रहने से सरकार की साख को नुकसान हो रहा है। पिछले तीन साल में सरकार पर कई घोटालों के आरोप लगे हैं और वह कई विवादों में भी रही है।
रेलवे बोर्ड रिश्वतखोरी मामला सामने आने के बाद सरकार को करारा झटका लगा। सरकार के लिए मीडिया में आई उन खबरों ने भी शर्मिंदगी पैदा की, जिसमें कहा गया कि बंसल के एक रिश्तेदार ने सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक से कर्ज के जरिये उस वक्त फायदा उठाया, जब वह वित्त राज्य मंत्री थे। पवन बंसल के खिलाफ कार्रवाई के स्पष्ट संकेत दिन में उसी समय मिल गए, जब कांग्रेस प्रवक्ता भक्त चरण दास ने कहा कि पार्टी भ्रष्टाचार या घालमेल में ‘शामिल’ किसी को भी नहीं बख्शेगी।
बंसल और अश्विनी कुमार के इस्तीफे के बाद अब केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल की उम्मीद है। इस मुद्दे पर सोनिया और मनमोहन की मुलाकात रविवार को होनी है। फेरबदल अगले सप्ताह होने की संभावना है। बंसल और अश्विनी कुमार के इस्तीफे के बाद अब कैबिनेट में दो जगह खाली हैं। इस बीच, अपुष्ट खबरें हैं कि मल्लिकार्जुन खड़गे नए रेलमंत्री हो सकते हैं।