हर व्यक्ति बंद मुट्ठी में अपनी किस्मत लेकर पैदा होता है। किसी को अपनी किस्मत से बंगला, गाड़ी और भौतिक सुख के हर साधन प्राप्त होते हैं तो कोई जीवन भर इन सुखों के लिए तरसता रहता है।
कभी-कभी दूसरों के वाहन और बंगलों को देखकर दिल में कसक सी उठती है। हथेलियों को देखकर सोचने लगते हैं कि क्या हमारे भाग्य में भगवान ऐसे सुख लिखना भूल गया।
हथेली पर ईश्वर के लिखे लेखों को पढ़ने के लिए समुद्रशास्त्र नामक ग्रंथ की रचना ऋषि समुद्र ने की। इस शास्त्र में बतया गया है कि भौतिक एवं वाहन सुख शुक्र के शुभ प्रभाव से मिलता है।
हथेली में शुक्र का स्थान अंगूठे के नीचे हथेली पर है। इस स्थान पर नीचे से ऊपर की ओर खड़ी सीधी रेखाओं का होना शुभ होता है। जिनकी हथेली पर ऐसे चिन्ह होते हैं उन्हें वाहन सुख मिलता है।
समुद्रशस्त्र में बताया गया है कि शुक्र पर्वत पर जालनुमा चिन्ह का होना शुभ फलदायी होता है। जिनकी हथेली पर ऐसा चिन्ह होता है वह काफी रोमांटिक होते हैं। ऐसे व्यक्ति वाहन एवं भौतिक सुख के साधन प्राप्त करते हैं।
शुक्र पर्वत से शुरू होकर कोई रेखा अगर मस्तिष्क रेखा पर ठहर रही है तो यह संकेत है कि 35 वर्ष की उम्र के बाद जीवन में सुख और वैभव में वृद्घि होगी।
शुक्र पर्वत से शुरू होकर रेखा अगर भाग्य रेखा से मिलती है तो यह इस बात का संकेत समझना चाहिए कि ससुराल पक्ष के सहयोग से अथवा विपरीत लिंग के व्यक्ति की मदद से जीवन में उन्नति एवं सभी सुख-साधन प्राप्त कर पाएंगे।
जिनकी हथेली में कलाई के पास से शुरू होकर कोई सीधी रेखा मध्यमा के नीचे यानी शनि पर्वत तक पहुंचती है वह बहुत भाग्यशाली होते हैं। ऐसे व्यक्ति को उत्तम घर, वाहन एवं हर प्रकार की सुख-सुविधाएं मिलती हैं।
जिनकी जीवनरेखा के आरंभ में अथवा अंत या दोनों स्थानों पर तिल का निशान होता है उन पर लक्ष्मी की कृपा रहती है। ऐसा व्यक्ति वाहन एवं भौतिक सुखों के साथ जीवन का आनंद लेता है। हाथ में कहीं भी कमल, अंकुश एवं मछली का चिन्ह होना उत्तम माना गया है।