(खुसुर-फुसुर)– मप्र का नवीन मंत्रिमंडल विस्तार चूंकि उस तरह से नहीं हुआ जिस तरह से पिछले वर्षों से होता आया था.चूंकि संगठन ने कसावट नियमबद्ध तरीके से यह विस्तार किया .चूंकि वह नहीं हुआ जो हमेशा होता रहा है इसलिए कई लोगों को यह बात नहीं पच पायी.
खैर अर्चना चिटनीस का विरोध भाजपा अध्यक्ष अंतिम समय तक करते रहे लेकिन उस बदले में संजय पाठक को मंत्री बनवा देना कहीं उन पर ही भारी ना पद जाए.सभी जानते हैं पाठक और अध्यक्ष जी की नजदीकियों के बारे में.पाठक अपने वरदहस्त से एक नए खनन व्यवसायी का व्यावसायिक करियर बनवा रहे हैं और उसका रक्त सम्बन्ध वर्तमान भाजपा अध्यक्ष से है.यह युवा खनन व्यवसायी आजकल कटनी में पूरा समय दे रहा है .व्यवसाय करना गलत नहीं लेकिन पद पर आने के बाद उसका लाभ इस तरह लेना चर्चा में आ गया है .
सोने पर सुहागा यह की इस संबंधों का गठबंधन मजबूत करते हुए मंत्री पद भी दिलवा दिया गया.अब भाजपा के दिग्गज भी स्व हित की राजनीती में डूब गए हैं आम कार्यकर्ता की छोटी परेशानियों को भी वे हंस कर आश्वासन दे विदा कर देते हैं.अब कठोर अनुशासन की तरंगों को देखते हुए कहीं यह मंत्री पद दिलवाने वाले पर ही भारी न पड जाए.