प्रश्न 1– शिक्षा मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में क्यों नहीं है? क्यों मोदी सरकार ने शिक्षा बजट को घटाकर 3.48% पर ला दिया है? जबकि साल 2013-14 में शिक्षा पर केंद्रीय बजट का 4.77% ख़र्च था। क्या भाजपा का चुनावी घोषणापत्र जुमला था जिसमें शिक्षा पर GDP का 6 % ख़र्च करने का वादा था?
प्रश्न 2– मोदी सरकार ने उच्च शिक्षा के लिए बजट घटाने के साथ विश्वविद्यालयों की आर्थिक सहायता और छात्रवृतियों की संख्या घटा दी। जबकि 5 सालों में प्रोफेशनल कोर्स 123% महंगे हुए। आईआईटी की फीस 123% और आईआईएम की फीस 55% बढ़ी। बच्चों को महंगी नहीं, अच्छी शिक्षा की दरकार है मोदी जी।
प्रश्न 3– NAC ने कहा है कि भारत में 68% विश्वविद्यालय और 90% कॉलेजों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता मध्यम दर्जे से लेकर दोषपूर्ण तक है। हमारे छात्र विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए सालाना करीब 43 हज़ार करोड़ रुपए ख़र्च करते हैं।मोदी जी क्या ‘नालंदा’ जुमलों में ही रहना था?
प्रश्न 4– सभी के लिए बेहतर शिक्षा की व्यवस्था करना सरकारों की मुख्य जिम्मेदारी है। लेकिन भाजपा सरकार अपने दायित्व से पल्ला झाड़कर उच्च शिक्षा को एजुकेशन लोन, प्राइवेट और विदेशी यूनिवर्सिटीज के हवाले करती रही। ऊंची फीस चुकाने के लिए स्टूडेंट्स पर एजुकेशन लोन का दबाव क्यों?
प्रश्न 5– हाल ही में यूजीसी ने छात्राओं की पढ़ाई के लिये दिए जाने वाले अनुदान में 40% की कटौती कर दी है।इसके पहले SC/ST की पोस्ट-मेट्रिक छात्रवृत्ति के ₹13017 करोड़ पर रोक लगा दी थी। दलितों, आदिवासियों, महिलाओं की शिक्षा का ऐसा विरोध क्यों था मोदी सरकार में?
प्रश्न 6– उच्च शिक्षा संस्थानों में 48% शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं । ग्रामीण कॉलेजों में 1.6 लाख से अधिक लेक्चरर पद खाली हैं।क्योंकि मोदी जी, आपकी सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति पर 5 साल की रोक लगा दी थी। पर ऐसा किसलिए किया आपने?
प्रश्न7– विज्ञान व तकनीक मंत्रालय ने 2015 में रिसर्च इंस्टीट्यूट्स को 50% फंड खुद जुटाने को कहा-कारण TIFR जैसे सभी वैज्ञानिक रिसर्च संस्थान वित्तीय संकट में फंस गए। CSIR ने 2017-2018 में वैज्ञानिक अनुसंधानों के 4063 करोड़ के बजट में से केवल ₹ 202 करोड़ ही नई रिसर्च पर खर्च किए।
प्रश्न 8– मप्र में भाजपा सरकार के बीते 6 सालों में 42.86 लाख बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ा। इसमें सरकारी स्कूलों के 28 लाख और प्राइवेट स्कूलों के 14.86 लाख बच्चों ने पढ़ाई छोड़ी दी। वर्ष 2010 से 2016 तक प्राथमिक शिक्षा पर खर्च किए गए 48 हजार करोड़ रूपए का यह कैसा रिजल्ट है ?
प्रश्न 9– कैग 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक मप्र के 18,213 स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे थे। शिक्षकों के कुल 63,851 पद खाली थे। प्राइमरी में 37,933 तो सेकेंडरी स्कूलों में 25,918 पद रिक्त थे। जिन शिक्षकों की भर्ती हुई, उन्हें ट्रेनिंग नहीं मिली। क्वालिटी एजुकेशन किसके भरोसे?
प्रश्न 10– MHRD तीन साल से शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग तय कर रहा है। संस्थान अपनी नेशनल रैंकिंग लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं, लेकिन मप्र की 7 सरकारी यूनिवर्सिटी, 900 ट्रेडिशनल व प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट और 220 इंजीनियरिंग कॉलेज तीन सालों में यह रैंकिंग लेने में असफल रहे। क्यों ?