भोपाल-भोपाल लोकसभा का चुनावी मुद्दा विकास विरुद्ध कट्टर हिंदुत्व सामने आ गया है ,दिग्विजय सिंह को जहाँ पार्टी की राजनीती का शिकार हो राजगढ़ छोड़ भोपाल से चुनाव लड़ना पड़ रहा है वहीँ भाजपा ने अपने सभी कार्यकर्ताओं को एक तरफ कर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जिन पर आतंकी घटना में शामिल होने का संगीन आरोप है को ताबड़तोड़ सदस्यता दिलवा टिकट दिया गया।
साध्वी को टिकट दे हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश की गयी है ,भाजपा विकास के मुद्दे पर विधानसभा चुनाव हार चुकी है एवं राष्ट्रीय चुनाव में भी स्थिति ठीक नहीं है इसलिए चुनावों को धार्मिक स्वरूप दे वह हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण कर चुनाव जीतने के प्रयास में है।
दिग्विजय सिंह के गृह नगर के समर्थक चुनाव प्रचार में ,प्रज्ञा के लिए संघ कार्यकर्ता जुटे मैदान में
चुनाव प्रचार जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है उसी तरह समर्थक भी मैदानी धूप में अपने को तपाने लगे हैं ,जहाँ दिग्विजय सिंह को पहले उम्मीदवार घोषित होने का फायदा मिल गया है जिसके चलते उन्होंने चुनावी प्रबंधन में बाजी मारी है वहीँ प्रज्ञा की चुनावी टीम अभी तक तैयार नहीं है जो घोषित भी हुए हैं वे असमंजस में हैं की काम क्या और कैसे करें? प्रज्ञा के समर्थन में पूरे भारत से संघ कार्यकर्ताओं को बुलाया गया है जिसमें विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकर्ता एवं युवा कार्यकर्ता भी हैं जो सोशल मीडिया की व्यवस्था देख रहे हैं वहीँ दिग्विजय की टीम की बड़ी जिम्मेदारी जेनयू के युवाओं पर है।
स्थानीय नेताओं को तरजीह न देना भाजपा के लिए नुकसानदायक हो सकता है,प्रज्ञा की कट्टर छवि दिलाएगी फायदा
भोपाल लोकसभा में कायस्थ मतदाता बड़ी संख्या में हैं पूर्व सांसद आलोक संजर को टिकट न देने की वजह से एक बड़ा धड़ा भाजपा को वोट नहीं देगा लेकिन इसके उलट कट्टर हिंदुत्व मुद्दे पर यह नुकसान कम हो सकता है। प्रज्ञा ठाकुर को राजनीतिक अनुभव नहीं है जिसके चलते वे दिग्विजय सिंह के समक्ष कमजोर पड़ रहीं हैं,जिसके चलते प्रज्ञा के बयान से भाजपा को पल्ला झाड़ना पड़ा। चूंकि 2014 चुनाव में भाजपा जीत अंतर बहुत बड़ा था और विधानसभा चुनावों में यह अंतर कम हुआ लेकिन फिर भी ग्रामीण इलाकों एवं घनी बस्तियों में कट्टर हिंदुत्व का मुद्दा सर चढ़ बोल रहा है।
दिग्विजय सिंह ने बाँची भोपाल के भावी विकास की गाथा,भाजपा की चुनावी रणनीतियों की नक़ल
दिग्विजय सिंह ने भाजपा की पूर्व में इस्तेमाल चुनावी रणनीति का उपयोग अपने चुनाव प्रचार में किया ,बुद्धिजीवियों से बैठक ,भोपाल के विकास के लिए योजना,सामाजिक संगठनों से सरोकार ,मीडिया से नजदीकियां एवं सबसे जरूरी रणनीति हिंदुत्व एवं विवादित मुद्दों पर चुप्पी साधना।दिग्विजय सिंह की छवि पिछले वर्षों में हिन्दू विरोधी एवं कर्मचारी विरोधी बना दी गयी है ,दिग्विजय सिंह ने भी अपनी इस छवि को दूर करने के लिए कोई ख़ास मेहनत नहीं की जो अब चुनावी समर में इन्हें करनी पड़ रही है। दिग्विजय मंदिरों एवं संतों के दर पर रोजाना माथा टेक रहे ,दिग्विजय चुनावी प्रबंधन रणनीति में आगे हैं लेकिन कट्टर हिंदुत्व का मुद्दा एक दिन में इस मेहनत पर पानी फेर सकता है।
दिग्विजय सिंह ने भोपाल के भावी विकास का दृष्टि-पत्र जारी किया हमने इसका पोस्टमार्टम किया ,पढ़िए
दिग्विजय सिंह ने बुद्धिजीवियों,बिल्डरों,वास्तुविदों का साथ ले भोपाल का भावी विकास योजना पत्र बनाया ,इसमें बिल्डर एसोशिएसन के पदाधिकारी भी शामिल थे ,इस योजना को बनाने में बिल्डरों ने अपनी खाली पड़ी जमीनों का भरपूर ध्यान रखा है एवं उनका ध्यान रखते हुए विकास योजना बनायी है। दिग्विजय सिंह का बेटा नगरीय विकास मंत्री है अतः यह विकास का गठजोड़ खूब फलेगा-फूलेगा यह तय है.
भोपाल के ताल-तलैयों के संरक्षण-संवर्धन पर ध्यान किन्तु अतिक्रमण पर चुप्पी
दृष्टि-पत्र में भोपाल के जीवन ताल-तलैयों के संरक्षण की बात कही गयी लेकिन कैसे होगा यह उल्लेख नहीं है कारण सबसे बड़ी समस्या अतिक्रमण है जिस पर बड़े धन-पशुओं ने कब्जा कर रखा है,दिग्विजय सिंह के ये बड़े करीबी लोग हैं और दिग्विजय सिंह इनका लगा धन उजाड़ नहीं सकते यह तय है अतः विजन पत्र सिर्फ कुछ डूबों को सहारा देने का पत्र बन कर रह जाएगा इसकी पूरी संभावना है।
अंततः भोपाल लोकसभा का चुनावी गणित यही है की दिग्विजय सिंह का राजनैतिक चातुर्य भरा विकास विरुध्द भाजपा का कट्टर हिंदुत्व मुद्दा का चेहरा इन दोनों के मध्य चुनाव है ,चुनाव कश्मकश भरा है ,भाजपा के गढ़ में दिग्विजय कड़ी टक्कर दे रहे हैं लेकिन हिंदुत्व लका भावनात्मक मुद्दा अंतिम समय में कुछ भी उलट-फेर कर सकता है.
अनिल कुमार सिंह की रिपोर्ट “धर्मपथ” के लिए