प्रेस की दशा-दिशा पर नज़र रखने वाली वैश्विक संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की ओर कहा गया है कि पत्रकारों को प्रताड़ित किए जाने की घटनाओं के पीछे हिंदू राष्ट्रवादियों का हाथ है. इसमें हत्या भी हो सकती है, जैसा पत्रकार गौरी लंकेश के मामले में हुआ.
आरएसएफ ने कहा कि भारत में ख़ासकर पत्रकारों को इंटरनेट (सोशल मीडिया) के ज़रिये प्रताड़ित करने की घटनाएं परेशान करने वाली हैं.
संस्था ने कहा कि पत्रकारों को प्रताड़ित किए जाने की घटनाओं के पीछे हिंदू राष्ट्रवादियों का हाथ है. इसमें हत्या भी हो सकती है, जैसा गौरी लंकेश के मामले में हुआ.
एक अख़बार की संपादक गौरी लंकेश की करीब एक साल पहले बेंगलुरु स्थित उनके घर में हत्या कर दी गई थी.
आरएसएफ ने अधिकारियों से अपील की है कि वे इन चरमपंथियों की धमकियों का सामना कर रहे पत्रकारों की जान और नौकरी बची होने की गारंटी मुहैया कराएं.
इस संस्था के मुताबिक, इंटरनेट पर सक्रिय इन चरमपंथियों ने पिछले हफ्ते ट्विटर पर अपना वजूद दिखाया और ख़ुद को ‘इंडिया अगेंस्ट बायस्ड मीडिया’ का नाम दिया. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं की भर्ती के लिए हैशटैग आईएबीएम का इस्तेमाल किया.
इसके एक संस्थापक सदस्य विपुल सक्सेना ने इस आईएबीएम संगठन के उद्देश्यों के बारे में बताया है. इसके अनुसार, ऐसे पत्रकारों को निशाना बनाना है जिनके पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग की वजह से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है और सामाजिक ताने-बाने को क्षति पहुंचती है.
अपने एक ट्वीट में विपुल सक्सेना कहते हैं, ‘अगर कुछ मीडिया मालिकों को लगता है कि #आईएबीएम पत्रकारों पर हमला कर रहा है तो हां, हम पत्रकारों पर हमला कर रहे हैं लेकिन लोग जानते हैं कि हम उन्हीं लोगों पर हमला कर रहे हैं जो झूड और डर फैला रहे हैं और उनका यह इलाज है.’
अपने ट्विटर अकाउंट पर आईएबीएम ख़ुद को अराजनीतिक बताता है लेकिन सक्सेना के ट्विटर अकाउंट पर आप गौर करेंगे तो सबसे ऊपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगी हुई है और सक्सेना को गर्व है कि मोदी ट्विटर पर उनके फॉलोवर हैं.
ट्विटर पर रेल मंत्री पीयूष गोयल का दफ्तर, दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता तेजिंदर सिंह बग्गा, पूर्व सांसद तरुण विजय फॉलो करते हैं.
विपुल सक्सेना ने ट्विटर पर अपने परिचय में ख़ुद को पूर्व पायलट, एविएशन इंजीनियर, आईएबीएम का सह संस्थापक बताया है और दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें फॉलो करते हैं.
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के अनुसार, आईएबीएम बहरहाल संस्था की ओर से कहा गया है कि हम सभी ‘देशद्रोही’ और ‘सरकार विरोधी’ विषय वस्तुओं को बिना किसी भेद के ख़त्म करना चाहते हैं. आईएबीएम के सदस्य सोशल मीडिया पर पत्रकारों को प्रताड़ित कर रहे हैं और उन्हें धमकी भरे फोन कॉल करते हैं. इसके अलावा उनके नियोक्ताओं से बात कर उनके ख़िलाफ़ कोर्ट में राजद्रोह का आरोप लगाते हुए केस करते हैं.
डेनियल बास्टर्ड ने कहते हैं, ‘हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वह इस समूह को प्रतिबंधित करे, जो खुलकर हत्या के लिए उकसा रहा है और पत्रकारों के ख़िलाफ़ उसकी ज़ुबानी हिंसा उनकी शारीरिक सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा कर रही है.’
उन्होंने कहा, ‘सत्ताधारी पार्टी के रुख़ से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखने वाले भारतीय पत्रकारों को परेशान किए जाने के मामले चिंताजनक स्तर पर पहुंच रहे हैं, जबकि इस पर सरकार का रवैया एक गहरी चुप्पी है.’