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 2014 में नदारद सोशल मीडिया इस बार एक प्रमुख रणभूमि | dharmpath.com

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2014 में नदारद सोशल मीडिया इस बार एक प्रमुख रणभूमि

March 12, 2019 7:45 pm by: Category: भारत Comments Off on 2014 में नदारद सोशल मीडिया इस बार एक प्रमुख रणभूमि A+ / A-

नई दिल्ली, 12 मार्च (आईएएनएस)। वर्ष 2014 में जब विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र ने 16वीं लोकसभा के लिए चुनाव कराया था, उस वक्त मतदाताओं पर सोशल मीडिया का प्रभाव बहुत कम था और पारंपरिक मीडिया अपने चरम पर था।

वर्ष 2014 में भारत में इंटरनेट का उपयोग करने वालों की संख्या करीब 25 करोड़ थी। आज यह संख्या करीब 55 करोड़ है। वहीं पिछले साल देश में स्मार्टफोन का उपयोग करने वालों की संख्या 40 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है।

फेसबुक के भारत में करीब 30 करोड़ मासिक सक्रिय यूजर हैं, वहीं व्हाट्सएप पर 20 करोड़ से ज्यादा और ट्विटर पर 3.4 करोड़ से ज्यादा यूजर हर महीने सक्रिय रहते हैं।

यह स्पष्ट हो चुका है कि सोशल मीडिया 17वें लोकसभा चुनाव में विभिन्न दलों के लिए रजानीतिक प्रचार को आकार देने में एक मुख्य भूमिका निभाने जा रहा है। सात चरणों में होने वाला लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल से शुरू होगा।

सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (एसएफएलसी) के लीगल डायरेक्टर प्रशांत सुगाथन ने आईएएनएस को बताया, “इस अवधि के दौरान इंटरनेट का उपयोग करने वालों की संख्या दोगुनी से ज्यादा हो चुकी है और इन नए यूजरों में ज्यादातर आबादी मोबाइल के माध्यम से वेब का प्रयोग करती है। विभिन्न दलों के पास समर्पित सोशल मीडिया सेल हैं, यह माध्यम निश्चित रूप से इस चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएगा।”

वर्ष 2009 से ट्विटर पर सक्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र के 26 मई 2014 तक मात्र 40 लाख प्रशंसक थे। राहुल गांधी उस वक्त मोदी के इर्द-गिर्द भी नहीं थे, क्योंकि वे अप्रैल 2015 में ट्विटर से जुड़े थे।

आज, मोदी को ट्विटर पर 4.63 करोड़ लोग फॉलो कर रहे हैं, वहीं राहुल के 88 लाख से ज्यादा प्रशंसक हैं।

न सिर्फ ट्विटर पर, बल्कि मोदी के फेसबुक पर भी 4.3 करोड़ प्रशंसक हैं, जबकि राहुल के प्रशंसकों की संख्या 25 लाख है। अकेले नरेंद्र मोदी ऐप को एक करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है।

ऐसे दौर में, दुष्प्रचार से लड़ना और यह कैसे मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है। इस चुनाव में यह एक सबसे बड़ा मुद्दा होगा।

सुगाथन ने कहा, “धार्मिक व जातीय मतभेदों पर आधारित लक्षित संदेश मतदाताओं का ध्रुवीकरण कर सकते हैं और देश के विविध सांस्कृतिक ताने-बाने को प्रभावित कर सकते हैं।”

वर्ष 2014 में 81.5 करोड़ मतदाता थे, जबकि इस बार मतदाताओं की संख्या 90 करोड़ है।

साइबर मीडिया रिसर्च एंड सर्विसेज लिमिटेड के अध्यक्ष व वरिष्ठ उपाध्यक्ष थॉमस जार्ज ने आईएएनएस से कहा, “2019 चुनाव मुख्य रूप से सोशल मीडिया पर लड़ा जाएगा। सोशल मीडिया पहले ही हमारे लोकतंत्र में बातचीत के लिए एक जीवंत मंच के रूप में उभरा चुका है।”

उन्होंने कहा, “याद रखिए, यह पहला आम चुनाव है जहां 40 करोड़ नए डिजिटल नेटिव पहली बार मतदान करेंगे।”

जॉर्ड ने कहा, “इस प्रकार, हम चुनाव के मद्देनजर आगामी महीनों में सोशल नेटवर्क को दुष्प्रचार की एक विशाल रणभूमि बनकर उभरते हुए देखेंगे।”

2014 में नदारद सोशल मीडिया इस बार एक प्रमुख रणभूमि Reviewed by on . नई दिल्ली, 12 मार्च (आईएएनएस)। वर्ष 2014 में जब विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र ने 16वीं लोकसभा के लिए चुनाव कराया था, उस वक्त मतदाताओं पर सोशल मीडिया का प्रभाव बहु नई दिल्ली, 12 मार्च (आईएएनएस)। वर्ष 2014 में जब विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र ने 16वीं लोकसभा के लिए चुनाव कराया था, उस वक्त मतदाताओं पर सोशल मीडिया का प्रभाव बहु Rating: 0
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