दुबई, 12 जनवरी – कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर असहिष्णुता को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में भारत की सहिष्णुता की अवधारणा को दोबारा हासिल करना सबसे बड़ी चुनौती है।
यहां आईएमटी यूनिवर्सिटी में छात्रों से बातचीत करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने भावी भारत के संबंध में अपनी दूरदर्शिता की एक झलक पेश की।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा, हवाई यात्रा, कृषि कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं, जिनमें बदलाव लाने के लिए भारत के रहनुमाओं को रणनीति के तौर पर विचार करना होगा।
गांधी ने कहा, “मुझे जब कोई पूछता है कि आपके भारतीय होने का क्या मतलब है तो मैं बताता हूं कि भारत ने मुझे कुछ अलग नजरिया रखने को सिखाया है जो मेरे से बिल्कुल अलग है और जो मुझे पसंद नहीं भी आए, फिर भी मैं उसका सम्मान करता हूं।”
उन्होंने कहा, “सहिष्णुता हमारी संस्कृति में समाहित है, लेकिन पिछले चार-पांच साल से अतिशय असहिष्णुता, गुस्सा और समुदायों के बीच विभाजन जो चल रहा है उसे देखना काफी दुखद है। मेरा मानना है कि यह अगुवाई करने वाले लोगों की मानसिकता की यह उपज है। भारत आमतौर पर सहिष्णु है। हमें वापस उसी ओर जाने की जरूरत है क्योंकि हम उससे ही शक्तिशाली बने हैं।”
राहुल गांधी संयुक्त अरब अमीरात के दो दिवसीय दौरे पर थे। उन्होंने उपहास के लहजे में कहा कि सहिष्णुता का अलग मंत्रालय भी कोई बुरा विचार नहीं है, लेकिन जब तक शीर्ष नेता विविध विचारों को नहीं सुनेंगे तब तक इससे कोई काम नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर राज्यों में राजनीतिक और आर्थिक एकता है और पूरा सामंजस्य है, यहां तक कि अधिकांश लोग इसकी सराहना नहीं करते हैं।
राहुल गांधी ने कहा, “आपको इसकी शक्ति तब महसूस होती है जब यह नहीं होती है। यही कारण है कि हम बदलाव की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमें विभाजित भारत पसंद नहीं है, वह भारत जहां लोगों को पीट-पीटकर जान से मार दे, जहां पत्रकारों को गोली से भून दे। हमें ऐसा भारत नहीं चाहिए।”
उन्होंने कहा, “अगले चुनावों में यही मुख्य चुनौती है और काफी तादाद में लोग जो चल रहा है उससे खुश नहीं हैं।”
लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में हो सकता है।