किदवंति है कि स्वयं ब्रहमा ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। शिव पुराण समेत अनेक प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथो में इसका विस्तृत विवरण मिलता है। मान्याताओं एवं किदवंतियों की माने तो आज का विज्ञान जिस काल को प्रागैतिहासिक काल कहता है, यह शिवलिंग उससे भी पुराना है। आज की भाषा में महाकाल को पूरी दुनिया का कोतवाल यानि न्यायकर्ता माना जाता है। मान्यता यह भी है कि महाकाल के चौखट पर की गई हर शिकायत पर न्याय महाकाल खुद करते हैं।
कलयुगी मानवों ने अपने भौतिक हितों की पूर्ति हेतु सनातनी शिवलिंग का क्षरण आरम्भ किया .महाकाल विषपान करते रहते हैं लेकिन उनके कुछ भक्तों ने उच्च-न्यायालय को माध्यम मान महाकाल से उन्हें ही बचाने हेतु प्रार्थना की और माननीय न्यायालय ने एक शुरुआत कर दी जो शिवलिंग क्षरण को बचाने की दिशा में महती कदम है.
महाकाल पर मिलावटी दूध, सामान्य जल नहीं चढ़ा सकेंगे। यहां भक्त केवल आरओ का जल हीं चढ़ा पाएेंगे। यह व्यवस्था देश की सर्वोच्च अदालत ने दी है। शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महाकाल ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक के लिए इन नियमों को मंजूरी दी। सुप्रीम कोर्ट ने चढ़ावे से शिवलिंग के आकार का क्षरण होने को लेकर दायर याचिका पर यह आदेश दिया है। मामले में अगली सुनवाई अब 30 नवंबर को होगी। महाकाल शिवलिंग के क्षरण को लेकर कोर्ट में एक दायर याचिका दायर की गई है। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पुरातत्व विभाग, भूवैज्ञानिकों और अन्य विशेषज्ञों की एक टीम ने वहां पहुंच कर इसकी जांच की थी। टीम ने शिवलिंग पर चढाए जा रहे अभिषेक सामग्री जैसे जल, फूल, दूध, भस्म सहित अन्य सभी वस्तुओं के सैंपल लेकर उसकी जांच की तथा जांच रिपोर्ट के साथ अपने सुझाव से कोर्ट को अवगत कराया।
सुप्रीम कोर्ट ने जांच टीम के आठ सुझावों पर अमल करना के निर्देश दिया है। जिनमें शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले जल की मात्रा तय करना और सिर्फ आरओ से शुद्ध किया जल चढ़ाया जाना शामिल हैं। कोर्ट ने जल की मात्रा तय करते हुए कहा कि अब हर भक्त केवल आधा लीटर आरओ का शुद्ध जल ही ले जा पाएंगे। दूध के अभिषेक के लिए यह मात्रा 1.25 लीटर होगी।
भस्म आरती के लिए आदेश मं कहा गया है कि भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को सूखे सूती कपड़े से पूरी तरह ढका जाएगा।
शिवलिंग पर चीनी पाउडर लगाने की इजाज़त नहीं होगी। बल्कि अब चीनी की बजाए खांडसारी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। शिवलिंग को नमी से बचाने के लिए पर्याप्त संख्या में ड्रायर व पंखे लगाए जाएंगे। अब बेलपत्र व फूल-पत्ती शिवलिंग के ऊपरी भाग में केवल चढ़ेंगे, ताकि शिवलिंग के पत्थर ज्यादा प्राकृतिक अवस्था में रहे। प्रतिदिन शाम 5 बजे के बाद शिवलिंग की पूरी सफाई होगी और इसके बाद सिर्फ सूखी पूजा की जाएगी।